अमेठी (जनमत):- माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर बीते गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग द्वारा सभी जिलाधिकारियों एवं मंडल आयुक्तों को पत्र जारी करते हुए कहा गया है की जितने भी राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे धार्मिक स्थल वर्ष 2011 के बाद बनाए गए हैं । उनको तत्काल प्रभाव से हटाने की कार्यवाही की जाए । उच्च न्यायालय के इस आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार के द्वारा पत्र जारी करने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। लोगों के द्वारा अपने ढंग से तर्क दिए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उच्च न्यायालय के ही आदेश पर सरकार एक तरफ जहां पर अयोध्या में मंदिर और मस्जिद का निर्माण करा रही है।
वहीं दूसरी तरफ धार्मिक स्थलों को हटाने की बात की जा रही है । मौनी महाराज ने बताया कि “जीवन रक्षो रक्षिता” की संकल्पना हाई कोर्ट के द्वारा की गई है । जीवन रक्षा ही देश का, संविधान का, शास्त्र का और सनातन धर्म का तथा समाज का सर्वोच्च संकल्प है । जो भी आदेश माननीय न्यायालय ने दिया है उसको बिना किसी सियासत के बिना किसी तकलीफ के सभी धर्म के धर्माचार्यों को तथा सभी धर्म के मानने वाले लोगों को स्वीकार कर लेना चाहिए । अगर राजमार्ग पर जमीने कब्जा कर मंदिर बनाए जाते हैं और मस्जिद बनाए जाते हैं मजारें बनाई जाती है और गुरुद्वारे बनाए जाते हैं । यह न्यायोचित नहीं है और ना ही समाज हित में है । इसे कतई भावनाओं से खिलवाड़ करने वाली राजनीति करना निंदनीय है। न्यायालय के आदेश का अनुपालन करना और न्यायालय की बात को मानना चाहिए जो भी बीमार लोग अस्पताल नहीं जा पाते हैं रास्ते में दम तोड़ देते हैं तमाम लोग मंदिर बनाकर रास्ते में अवरोध कर देते हैं और घटनाएं घट जाती है ।
तमाम ऐसे जाम लगते हैं जिनके चलते बड़ी परिस्थितियां पैदा होती हैं । इन सब को देखते हुए न्यायपालिका ने “नरो नारायणो भवेत्” की संकल्पना अर्थात नर ही नारायण है उसके जीवन की रक्षा करना न्यायपालिका कार्यपालिका विधानसभा तथा सरकार सबका दायित्व होता है। यह न्यायपालिका को जो आदेश हुआ है इसको मुख्यमंत्री द्वारा लागू करने का निर्देश दिया गया है। संत समाज इसका आदर करता है और शीघ्रता से हटाए जाएं इसमें यदि कोई भी धर्माचार्य बेस बनाकर सामने खड़ा होता है की मंदिर तोड़ा गया अपमान है अथवा कोई मौलवी खड़ा होता है कि मस्जिद तोड़ा गया अपमान है तो यह केवल देश के साथ खिलवाड़ है ।क्योंकि किसी भी व्यक्ति को देश के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं है । राजमार्ग किसी व्यक्ति का स्थान नहीं हो सकता है ।
धार्मिक स्थल वहां होने चाहिए जो निर्विवाद हो विवादित स्थल पर विवादित जगह चौराहे इत्यादि पर हर जगह धार्मिक स्थल ही बनाने लगेंगे तो इस समाज और देश का क्या होगा ? पूरे विश्व के सामने भारत की कानून व्यवस्था का क्या होगा ? यह निश्चित रूप से बहुत ही आदरणीय निर्णय कोर्ट का हुआ है। इसे होना चाहिए था और पहले होना चाहिए था । मैं तो एक बात और कहना चाहूंगा कि सरकार और न्यायालय को इस पर विचार और करना चाहिए अतिक्रमण चाहे वर्ष 2011 के हो अथवा इसके पूर्व के हो मैं न्यायपालिका से निवेदन करना चाहूंगा और सरकार से निवेदन करना चाहूंगा कि अतिक्रमण चाहे जब का हो उनको हटाया जाना चाहिए ।
अतिक्रमण तो अतिक्रमण होता है यदि वह राजमार्ग के परिधि में आते हैं तो उनको हटना चाहिए क्योंकि वह समाज की तमाम समस्याओं को जन्म दे रही हैं । मंदिर अच्छी जगह बने और मस्जिद अच्छी जगह बने मेरी भी आस्था भगवान से है मैं भी पूजा करता हूं मंदिर में पाठ करता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं चौराहे पर मंदिर बना कर सियासत करने लगूँ और मैं धरना करूं कि मंदिर तोड़ा गया है ऐसा कुछ भी नहीं होगा । संत समाज इसको स्वीकार करता है इसकी मान्यता देता है । संत समाज ऐसे किसी भी आदेश का विरोध नहीं करेगा।