लखनऊ(जनमत):- यूपी में चुनावी सरगर्मियां के दौरान धीरे धीरे नेतागण भी अपनी राजनितिक बिसात बिछाने लगें हैं| इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य जो कुशीनगर जिले की पडरौना विधानसभा सीट से लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके है ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है|
वहीँ इस्तीफे के साथ ही अपने पत्र में उन्होंने दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये को अपने इस्तीफे की वजह बताया है। साल 2009 में बसपा के टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत दर्ज कर कुशीनगर की राजनीति के केंद्र में आ गए। यह सिलसिला पिछले 13 वर्षों से जारी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बसपा सरकार में मौर्य ने अपने हिसाब से काम किया था, लेकिन यह आजादी भाजपा सरकार में नहीं मिली।पहली बार पडरौना से बसपा का खाता खुला और स्वामी प्रसाद मौर्या बड़े अंतर से चुनाव जीत गए। बसपा सरकार में सहकारिता मंत्री बने| साल 2012 में स्वामी प्रसाद मौर्य इसी सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए और इसी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष बन गए। वर्ष 2017 में बसपा छोड भाजपा में सामिल हुए और पडरौना से ही लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए।
समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर चुके मौर्य कहा से चुनाव लाडेगे इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है। लोगों का कहना है कि अगर मौर्य को पडरौना से ही चुनाव लड़ना होता तो वे दल कभी नहीं बदलते। वही कुछ लोगों का तर्क है कि कुशीनगर जिले की ही कुशवाहा बहुल फाजिलनगर सीट से वह चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि मौर्य अब अपने गृह जनपद प्रतापगढ़, रायबरेली या उसके आसपास के जिलों का रुख कर सकते हैं। वजह यह कि वे पिछले कुछ दिनों से कुशीनगर की बजाय रायबरेली और शाहजहांपुर में ज्यादा सक्रिय थे। अब समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के बाद नई पार्टी के साथ नए रंग में जुड़ गएँ हैं और आने वाले दिनों में सपा के सरपरस्ती में चुनाव लड़ेंगे|
Posted By:- Amitabh Chaubey