वफ्फ बोर्ड की ज़मीन पर हुई कार्यवाही बनेगी नज़ीर

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कौशांबी/जनमत 23 सितम्बर 2024। ज़िले में वफ्फ बोर्ड की भूमि पर हुई कार्यवाही पूरे यूपी के लिए नज़ीर बन सकती है। यह साल भर पहले 96 बीघा जमीन को वफ्फ बोर्ड से आज़ाद कराई गई थी। इसका ब्यौरा शासन से मांगा गया था। जिस पर 6 बिंदुओं पर प्रस्ताव भेजा गया है। माना जा रहा है कि इसी आधार पर दूसरे जिलों में भी कार्यवाही हो सकती है।

बतादें कि सिराथू तहसील के कड़ा धाम में 96 बीघा जमीन का प्रकरण वर्ष 1950 से कोर्ट में चल रहा था। लेकिन निस्तारण नहीं हो पा रहा था। मामला तत्कालीन एडीएम न्यायिक डॉ. विश्राम की कोर्ट में चला। शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) शिवमूर्ति द्विवेदी ने प्रकरण का गंभीरता से अध्ययन किया। इसके बाद कार्रवाई शुरू की। सभी बिंदुओं की बारीकी से छानबीन करने के बाद आखिरकार वक्फ बोर्ड से 96 बीघा एक साल पहले वापस ले ली। इ

स जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करा दिया गया है। इससे वक्फ बोर्ड की जमीन की देखभाल करने वाले तिलमिलाए थे, लेकिन उनकी दाल नहीं गली थी। अब पूरे प्रदेश में कार्रवाई शुरू हुई तो तत्कालीन एडीएम न्यायिक की कोर्ट में चली कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया। छह बिंदुओं पर कार्रवाई के लिए शासकीय अधिवक्ता ने शासन को सुझाव भेजा। यह सुझाव स्वीकार कर लिया गया है। इससे डीएम व अन्य अधिकारियों का मनोबल बढ़ा है।


शासकीय अधिवक्ता राजस्व शिवमूर्ति द्विवेदी ने बताया कि भारत सरकार ने वक्फ बोर्ड की जमीन के लिए एक नया प्रस्ताव लाने का प्रस्ताव दिया है। इस विषय पर देशभर के बुद्धजीवी जो न्यायिक कार्य से जुड़े हुए है उनसे सुझाव मांगे गए है। हमने भी अपने व्यक्तिगत कैपेसिटी से सरकारी अधिवक्ता के नाते अपने चार सुझाव भेजे हैं। वहां से जानकारी प्राप्त हुई है कि आपका सुझाव विचार के लिए स्वीकार कर लिए गए हैं। जहां तक ख्वाजा खड़क सा बाबा के मजार की जमीन की बात है वहां वर्ष 2022 में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी की अदालत पर 96 बीघा जमीन को वह बोर्ड के नाम से हटकर सरकारी खाते में दर्ज की गई है। यह मुकदमा 1946 से चल रहा था इसमें कहा गया था कि अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा माफीनामा में यह जमीन उन्हें मिली थी।

खावज़ा कड़क शाह वफ्फ की ज़मीन की देखभाल करने वाले डॉक्टर नारवी से फ़ोन पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि 14 मई 1979 को चकबंदी अधिकारी द्वारा 96 बीघा भूमि वफ्फ ज़ायदाद कब्रिस्तान व ख़्वाजा कड़क शाह के नाम दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसके मुतवल्ली सैयद शाह नियाज़ अशरफ थे। इसके बाद 2022 में डीडीसी ने फैसले को निरस्त करते हुए भूमि वापस ले ली। अब हाईकोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इस जमीन पर हजारों कब्रिस्ताने बनी हुई है। जो अलाउद्दीन खिलज़ी, जलालुद्दीन और राजा जयचंद के समय जंग हुई थी, उनकी इस जमीन पर कब्र बनी हुई है।

REPORTED BY – RAHUL BHATT

PUBLISHED BY – MANOJ KUMAR