फतेहपुर (जनमत ) :- जनपद फतेहपुर की जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे की बीमार गाय के उपचार के लिए पशु चिकित्सा विभाग के सात पशुचिकित्सकों की कथित ड्यूटी लगाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। फतेहपुर जिला प्रशासन व पशुचिकित्सा विभाग आमने सामने आ गए हैं। अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी। पशु चिकित्सा निदेशक डा.इन्द्रमणि ने बताया कि अभी तक फतेहपुर के प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.एस.तिवारी या किसी अन्य का कोई निलंबन नहीं किया गया है।
इस प्रकरण की जांच के लिए निदेशालय से मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी फतेहपुर भेजे जाएंगे जो पूरे प्रकरण की जांच के बाद रिपोर्ट देंगे और फिर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन के दिशा-निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि फतेहपुर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी आर.डी.अहिरवार बीमार होने की वजह से चिकित्सा अवकाश पर हैं। उनके स्थान पर प्रभारी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की जिम्मेदारी का निर्वहन पशु चिकित्सा अधिकारी डा. एस.के. तिवारी कर रहे हैं।
वहां की डीएम अपूर्वा दुबे की बीमार गाय के उपचार के लिए सात सरकारी पशु चिकित्सकों की ड्यूटी लगाए जाने संबंधी पत्र सोशल मीडिया पर रविवार को वायरल होने के बाद मामला और तूल पकड़ गया था। वहां के प्रशासन और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बीच तनातनी बढ़ गई है। इस बीच पशु चिकित्सा निदेशक डा. इंद्रमणि ने डा. एसके तिवारी के निलंबन की बात का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।
फतेहपुर डीएम अपूर्वा दुबे ने रविवार को जारी अपने वीडियो संदेश में कहा था कि उनके पास कोई गाय नहीं है और चूंकि वह फतेहपुर जिले के पशु चिकित्सा कार्यालय में व्याप्त अनियमितताओं को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं, कार्रवाई करवा रही हैं इसलिए चिढ़ कर उनके खिलाफ मिथ्या प्रचार करवाया जा रहा है।
पशु चिकित्सा निदेशक डा.इन्द्रमणी ने कहा कि फतेहपुर जिला प्रशासन की ओर से पत्र के वायरल होने का जिम्मेदार बताते हुए प्रभारी मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डा. एस.के. तिवारी के निलंबन की खबरें मीडिया में फैलाई जा रही हैं। डा. इन्द्रमणि ने डा. तिवारी के निलम्बन की खबरों का भ्रामक बताया है।
यह मामला मीडिया में उछलने के बाद उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्हें फतेहपुर की डीएम का पत्र मिला है, उसका परीक्षण करवा कर साथ ही वहां के जिला पशु चिकित्सा कार्यालय के प्रभारी का लिखित पक्ष जानने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा। इसके लिए शासन से मार्गदर्शन भी प्राप्त किया जाएगा।
Posted By- Vishal mishra