कबूतर खाने में तब्दील हुआ स्टेडियम

UP Special News

एटा (जनमत ):- खेलों में रुचि रखने वाले युवाओं की प्रतिभा निखारने और खेल के क्षेत्र में सुविधा मुहैया का दावा उत्तर प्रदेश सरकार लगातार कर रही है। सरकार के इन दावों की पोल खोलती ये खबर आपको हैरत में डाल देगी। जहाँ  जनता की कमाई हुई गाढ़ी रकम से वसूले हुए टैक्स से बना स्टेडियम सफेद हाथी सावित हो रहा है।लगभग तीन करोड़ अठहतर लाख रुपए की लागत से निर्मित खेल स्टेडियम सरकार के झूठे दावों की पोल खोल नजर आ रहा है। स्टेडियम के अंदर के हालत बेहद खराब है। स्टेडियम खेल का नहीं बल्कि कबूतर खाना बनकर रह गया है। करोड़ों रुपए खर्च होने बावजूद क्षेत्र की जनता को स्टेडियम में खेल खेलने का अवसर प्राप्त नहीं हो सका है।

खेलों के मैदान और उचित खेलों के सामान , कोच उपलब्ध न होने की वजह से यूपी का एटा जिले का अलीगंज क्षेत्र कभी पिछड़ा हुआ है। जिसको देखते हुए प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्ष २०१५ में अलीगंज में खेल स्टेडियम बनाए जाने की स्वीकृति दी थी। स्टेडियम का निर्माण कार्य वर्ष 2015 में शुरू होकर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार में पूर्ण हुआ है । पांच माह पूर्व ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने वर्चुअल माध्यम से स्टेडियम का शुभारंभ किया था। परंतु आज तक करोड़ों की लागत से बनकर तैयार हुए इस स्पोर्ट स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेल खेलने का मौका प्राप्त नहीं हो सका। स्टेडियम के बाहर क्षेत्र के खिलाड़ी मैदान बनाकर क्रिकेट खेलते दिखाई दिए।खिलाड़ियों ने सरकार से गुहार लगाई है की जल्द से स्टेडियम को सुचारू शुरू किया जाए जिससे की खेलने का मौका मिल सके।

 

आखिर कैसे हो रहा निखरती प्रतिभाओं का देश के अंदर ही दमन

मुफलिसी में कैसे मजबूर हुई नेशनल खेल चुकी दीक्षा

कहते है की देश में निखरती प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन खेलों के व्यापक इंतजाम नहीं होने के चलते लाचारी और मजबूरी की वजह से हर रोज खेलों के क्षेत्र में हजारों लाखों प्रतिभाओं का देश के ही अंदर दमन हो रहा है।इसी ही एक कहानी हम बताने जा रहे है भाला फेंक खेल की नेशनल खिलाड़ी दीक्षा दीक्षित की।जो की खेलों के व्यापक इंतजाम न होने की वजह से मजबूर हो चुकी है।लेकिन हौसला आज भी बुलंद है।

उत्तर प्रदेश के जनपद एटा की तहसील अलीगंज क्षेत्र के ग्राम चंदनपुर रहने वाली दीक्षा दीक्षित एक भाला फेंक खेल की नेशनल प्लेयर है।दीक्षा इस समय 17 वर्ष की उम्र को पूरा कर चुकी है और बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। दीक्षा के पिता का नाम अवधेश दीक्षित है,जो कि एक छोटे किसान है। दीक्षा के परिवार में कुल 7 लोग रहते है और दीक्षा अपने कुल पांच  भाई बहनों में चारवीं नंबर पर आती है। दीक्षा राजा का रामपुर स्थित बी डी आर एस इंटर कालेज में पढ़ने के लिए साल 2015 में पढ़ने के लिए पहुँची तभी स्कूल में खेलकूद के अध्यापक योगेंद्र शाक्य से शारीरिक शिक्षा के लिए मुलाकात हुई। स्कूल के अध्यापकों के द्वारा आपस में पैसे इकट्ठे करवा करके खेल कूद के सामान जुटाये। इसके बाद दीक्षा की प्रैक्टिस जारी रखी गई और नतीजे में दीक्षा ने चार बार स्टेट मैच एक बार नेशनल मैच जीतने का खिताब अपने नाम किया। वर्ष 2019 में स्कूल से पढ़ाई पूरी होने के बाद साल 2021 में डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से जैवलिन थ्रू मैच खेलने के लिए गई और द्वितीय स्थान प्राप्त किया और नेशनल मैच खेलने के लिए पंजाब के जनपद संगरूर में गई यहाँ पर भी दीक्षा ने इस नेशनल मैच में द्वितीय स्थान प्राप्त करने के बाद सिल्वर और गोल्ड मेडलो का जत्था इकट्ठा कर लिया। वर्तमान समय में दीक्षा युवा कल्याण विभाग के तरफ से खेल रही है। दीक्षा को इस वक्त बेहतर खेल व्यवथाओं और अच्छे कोच की आवश्यकता है। सवाल ये उठता है की करोड़ों खर्चने के बाद भी क्षेत्र के खिलाड़ियों का हाल बेहाल है।

वहीं इस मामले में खेलकूद विभाग की बाबू हेमलता ने बताया,कि स्पोर्ट स्टेडियम बनकर तैयार हो चुका है ,स्टेडियम निर्माण की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम अलीगढ़ की थी। संस्था द्वारा स्टेडियम का निर्माण कराया जा चुका है । परंतु स्टेडियम में खेल मेदान का निर्माण नही पूर्ण हो सका है।साथ ही स्टेडियम की देखरेख और जिम्मेदारी के लिए हाल ही में कोई तैनाती नही हुई है। स्टेडियम विभाग को सौंपा जा चुका है। स्टेडियम के अंदर खेलो को शुरू करने के हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।

Reported By :-  Nand Kumar

Published By :- Vishal Mishra