मायावती ने लखनऊ में मुस्लिम-दलित गठबंधन मजबूत करने के लिए मुस्लिम भाईचारा संगठन की विशेष बैठक बुलाई !

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 को ध्यान में रखते हुए लखनऊ की आठ विधानसभा सीटों के लिए 16 संयोजकों की नियुक्ति की घोषणा की है. पार्टी ने रणनीतिक रूप से 50 प्रतिशत संयोजकों को मुस्लिम समाज से चुना है....

मायावती ने लखनऊ में मुस्लिम-दलित गठबंधन मजबूत करने के लिए मुस्लिम भाईचारा संगठन की विशेष बैठक बुलाई !
publishesd by- JYOTI KANOJIYA

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 को ध्यान में रखते हुए लखनऊ की आठ विधानसभा सीटों के लिए 16 संयोजकों की नियुक्ति की घोषणा की है. पार्टी ने रणनीतिक रूप से 50 प्रतिशत संयोजकों को मुस्लिम समाज से चुना है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बीएसपी का फोकस पिछड़ा, दलित, और मुस्लिम भाईचारा कमेटी के माध्यम से सामाजिक समीकरण को मजबूत करने पर है.

बीएसपी ने लखनऊ की आठ विधानसभा सीटों के लिए दो-दो संयोजकों की नियुक्ति की है, इनमें बक्शी का तालाब (बीकेटी) इमामुद्दीन और अमित गौतम, लखनऊ पूर्वी, मोहम्मद अनीस और रामेश्वर दयाल, लखनऊ पश्चिम, जिया उल हक और सज्जन लाल गौतम, मलिहाबाद, आरसी अहमद और यशपाल वर्मा, लखनऊ मध्य, कमरुल हसन और राजेश गौतम, लखनऊ कैंट, मोहम्मद हबीब और देवेश कुमार गौतम, मोहनलालगंज,  आसिफ मोहम्मद और कन्हैयालाल रावत।

पिछड़ा, दलित, और मुस्लिम भाईचारा कमेटी का गठन 

मायावती ने लखनऊ में पिछड़ा, दलित, और मुस्लिम भाईचारा कमेटी का भी गठन किया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न समुदायों को एकजुट कर पार्टी के पक्ष में मतदान को प्रोत्साहित करना है. पार्टी नेताओं का कहना है कि यह कमेटी सामाजिक समावेश को बढ़ावा देगी और विशेष रूप से मुस्लिम और पिछड़े वर्गों के बीच बीएसपी की पैठ को मजबूत करेगी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीएसपी ने अपनी रणनीति को और मजबूत किया है. पार्टी के नेता अलग-अलग जिलों में जाकर मुस्लिम और पिछड़े वर्गों के बीच जागरूकता अभियान चला रहे हैं. बीएसपी की रणनीति दलित-मुस्लिम-पिछड़ा गठजोड़ पर आधारित है, जिसे पार्टी ने हाल के लोकसभा चुनावों में भी आजमाया था.

लखनऊ में संयोजकों की नियुक्ति में सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखा गया है. आधे संयोजक मुस्लिम समुदाय से हैं, जो पार्टी की मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति को दर्शाता है. इसके साथ ही, पिछड़े और दलित वर्गों के नेताओं को भी प्रमुख जिम्मेदारी दी गई है, ताकि सामाजिक गठजोड़ को और मजबूत किया जा सके. बीएसपी नेताओं का कहना है कि यह नियुक्तियां पार्टी की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं, जिसके तहत लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में सामाजिक समीकरण को साधकर चुनावी सफलता हासिल की जाएगी.