'ब्राह्मण की बेटी' पर विवादित बयान देने वाले IAS के खिलाफ भाजपा-कांग्रेस आए साथ, FIR की मांग

आरक्षण पर इस तरह की दलील देकर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी संतोष वर्मा ने नए विवाद को जन्म दे दिया है।

'ब्राह्मण की बेटी' पर विवादित बयान देने वाले IAS के खिलाफ भाजपा-कांग्रेस आए साथ, FIR की मांग
Published By- Diwaker Mishra

भोपाल/जनमत न्यूज़। जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान ना कर दे या उससे संबंध ना बना ले.... आरक्षण पर इस तरह की दलील देकर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी संतोष वर्मा ने नए विवाद को जन्म दे दिया है।

ब्राह्मण और सवर्ण संगठन उबल पड़े हैं, लेकिन आरक्षण, दलित, सवर्ण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर नफा-नुकसान को भांपते हुए अधिकतर राजनीतिक दल चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के कुछ ब्राह्मण नेताओं ने अधिकारी के बयान की निंदा करते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की है।

अनुसूजित जाति, जन जाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रांतीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद इसके पहले अधिवेशन के दौरान वरिष्ठ IAS अधिकारी संतोष वर्मा ने मंच से विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने 'एक परिवार में एक ही व्यक्ति को आरक्षण' की सोच के विरोध में दलील देते हुए कह दिया कि यह तब तक मंजूर नहीं होगा जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उनके बेटे को दान ना कर दे या उसका उससे संबंध ना बने।

सोशल मीडिया पर संतोष वर्मा का यह बयान वायरल हो गया। सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके बयान की तीखी आलोचना की। विवाद बढ़ते देख संतोष वर्मा ने पहले तो अपने बयान के एक हिस्से को गलत तरीके प्रचारित करने का आरोप विरोधी खेमों पर लगाया और फिर लगे हाथ माफी भी मांगी।

किसी भी मुद्दे पर एक दूसरे को परास्त करने को आतुर रहने वाली भाजपा और कांग्रेस में इस मुद्दे पर कोई उत्तेजना नहीं दिखी। हालांकि, कुछ नेताओं ने वर्मा के बयान की आलोचना करते हुए कार्रवाई की मांग जरूर की। खास बात यहा है कि इस मुद्दे पर बयान देने वाले भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के सुर मिलते दिखे।

बांटने वाली मानसिकता का खुला प्रमाणः भाजपा नेता सतीश चंद्र दुबे

बिहार से भाजपा के राज्यसभा सांसद और मोदी सरकार में मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने IAS अधिकारी संतोष वर्मा के बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि इस तरह के मानसिक दिवालियेपन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा, 'एक वरिष्ठ अधिकारी का इस प्रकार का जातिगत और स्त्री-विरोधी बयान न केवल घोर आपत्तिजनक है, बल्कि समाज को बांटने वाली मानसिकता का खुला प्रमाण भी है। मैं स्वयं एक ब्राह्मण हूं, और हमारी परंपरा 'सम्मान' सिखाती है, 'अपमान' नहीं।

आप जैसे लोग आरक्षण की बहस तो दूर, बुनियादी मानवीय संवेदनाओं की परीक्षा में भी फेल हो जाते हैं। देश की बहन-बेटियों को 'दान' की वस्तु समझने वाली सोच घोर निंदनीय है। यह विचार न सिर्फ घटिया है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक मर्यादा का भी अपमान है। सरकार ऐसे मानसिक दिवालियेपन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।'

किसी और धर्म-जाति की बात होती तो...

मप्र कांग्रेस के महासचिव अमित शर्मा भी IAS अधिकारी के बयान और प्रमुख नेताओं की इस पर चुप्पी से बेहद आहत दिखे। उन्होंने पार्टी लाइन से ऊपर उठते हुए ब्राह्मण समाज के लोगों को आवाज उठाने की अपील की।

शर्मा ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, 'शायद किसी ने संतोष वर्मा की बुद्धि को हर लिया है। यह समाजिक ताने बाने को तोड़ने का बयान है। उन्होंने ना सिर्फ ब्राह्मण बेटियों के बारे में टिप्पणी है, बल्कि हर जाति और धर्म के बहन बेटियों के बारे में है।

मैं संतोष वर्मा जी से कहना चाहता हूं कि शीघ्र माफी मांगें। ब्राह्मण समाज के लोग चाहें वे भाजपा के हों या कांग्रेस के, जो परशुराम को मानने वाले लोग हैं।

उनसे आग्रह है कि यदि किसी और धर्म जाति की बात होती तो फेसबुक ट्विटर पर ना जाने कितने बयान आ जाते। लेकिन ब्राह्मण समाज की बेटियों के खिलाफ ने बोला है तो एक भी बड़ी टिप्पणी या बयान नहीं आया। यह नेतागिरी, राजनीति का नहीं सामाजिक विषय है।

यह किस तरह का संदेश संतोष वर्मा ने दिया है। मैं इसकी निंदा करता हूं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि आप अपनी आवाज उठाइए समाज के प्रमुख लोगों से निवेदन है कि DGP से FIR की मांग करिए। मुख्यमंत्री और चीफ सेक्रेट्री को ज्ञापन देकर इनके निष्कासन की मांग करनी चाहिए।'

केस दर्ज होना चाहिए- मुकेश नायक

मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि संतोष वर्मा पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा, 'कोई वर्मा जी की निजी जागीर नहीं है आरक्षण कि कोई बेटी उनको ब्याह देगा तो वह आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर देंगे। यह बहुत खराब बयान है।

एक आईएएस अफसर के द्वारा इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। जिस तरह कोई व्यक्ति दलित समाज का अपमान करता है तो उस पर उत्पीड़न का केस होता है, उसी तरह वर्मा जी ने जो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की और एक बड़े वर्ग का अपमान किया है, उन पर भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए।'