झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से बड़ा हादसा, 5 बच्चों की मौत, 30 से अधिक घायल
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में स्कूल की जर्जर छत गिरने से दर्दनाक हादसा। 5 बच्चों की मौत, 30 से ज्यादा घायल। जानें पूरी घटना, मृतकों की पहचान और सरकार की प्रतिक्रिया।
राजस्थान/न्यूज़ डेस्क/जनमत न्यूज़:- राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक स्थित पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया। सरकारी स्कूल की जर्जर छत गिरने से अब तक 5 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हादसे के समय सभी बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे।
मिली जानकारी के अनुसार, पीपलोदी सरकारी विद्यालय की छत अचानक भरभराकर गिर गई। स्कूल की जर्जर स्थिति और हाल ही में हो रही लगातार बारिश को इस हादसे की प्रमुख वजह माना जा रहा है। हादसे के वक्त स्कूल में करीब 60 छात्र उपस्थित थे। मलबे में लगभग 25 से अधिक बच्चे दब गए थे।
घटना के तुरंत बाद ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ ने बचाव कार्य शुरू किया। मौके पर जेसीबी और बुलडोजर के जरिए मलबा हटाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है। 11 बच्चों की हालत गंभीर होने पर उन्हें झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों में पायल (14) पुत्री लक्ष्मण, प्रियंका (14) पुत्री मांगीलाल, कार्तिक (8) पुत्र हरकचंद, हरीश (8) पुत्र बाबूलाल और मीना रेदास शामिल हैं। एक बच्चे की पहचान अभी नहीं हो सकी है।
गंभीर रूप से घायल 9 बच्चों को झालावाड़ रेफर किया गया है: कुंदन (12) पुत्र वीरम, मिनी (13) पुत्री छोटूलाल, वीरम (8) पुत्र, तेजमल, मिथुन (11) पुत्र मुकेश, आरती (9) पुत्री हरकचंद, विशाल (9) पुत्र जगदीश, अनुराधा (7) पुत्री लक्ष्मण, राजू (10) पुत्र दीवान, शाहीना (8) पुत्री जगदीश सहित अनुय शामिल है |
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “झालावाड़ के पीपलोदी में विद्यालय की छत गिरने से हुआ दर्दनाक हादसा अत्यंत दुःखद एवं हृदयविदारक है। घायल बच्चों के समुचित उपचार हेतु अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि और परिजनों को शक्ति मिले।”
वहीं, राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी घटना पर दुख जताते हुए कहा कि सभी घायलों का इलाज सरकारी खर्चे पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि घटना की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की जाएगी।
इस हादसे के बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि स्कूल की छत पहले से ही जर्जर हालत में थी, बावजूद इसके समय रहते मरम्मत नहीं कराई गई। अब जांच में यह भी स्पष्ट होगा कि भवन की नियमित निगरानी क्यों नहीं की गई।

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