11 साल पुराने गैंगरेप केस में कोर्ट का आया बड़ा फैसला

पीड़िता और गवाहों ने बदले बयान, चारों आरोपी बरी; दोषपूर्ण विवेचना पर जांच के आदेश
एटा/जनमत न्यूज। जनपद एटा के राजा का रामपुर थाना क्षेत्र में दर्ज 11 साल पुराने गैंगरेप मामले में अदालत ने अहम फैसला सुनाया। अपर सत्र न्यायाधीश मनीषा सिंह की अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए चारों आरोपियों वीरभान, कश्मीर सिंह, जगजीत सिंह और भानु प्रताप को बरी कर दिया।
यह मामला 25 अक्टूबर 2014 का है, जब पीड़िता के पति की तहरीर पर धारा 452, 376(2)(जी), 504 और 506 आईपीसी में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। आरोप था कि आरोपियों ने हथियार के बल पर घर में घुसकर महिला से गैंगरेप किया।
सुनवाई के दौरान पीड़िता ममता ने अदालत में अपने ही बयान बदल दिए। उसने कहा कि उसके साथ कोई गलत काम नहीं हुआ और पुराने बयान दबाव में दिए थे। वादी रामआसरे ने भी अदालत को बताया कि उनसे दबाव डालकर झूठी रिपोर्ट लिखवाई गई थी। अभियोजन पक्ष के पांच गवाहों की गवाही के बाद एक-एक कर सभी गवाह मुकर गए। अंत में पीड़िता ने भी गवाही पलट दी। सबूतों की समीक्षा और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने चारों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया।
आरोपी पक्ष का कहना था कि यह पूरा मामला चुनावी रंजिश और राजनीतिक दबाव के चलते दर्ज कराया गया था। फैसले के बाद आरोपी पक्ष ने राहत की सांस ली, जबकि वादी पक्ष अब दबाव में केस दर्ज होने की बात कह रहा है। यह मामला सालों तक गांव में राजनीतिक और जातीय तनाव का कारण बना रहा।
अदालत ने मामले की विवेचना को दोषपूर्ण मानते हुए तत्कालीन थाना अध्यक्ष देवेश शंकर पांडेय के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया है। एसएसपी एटा को तीन माह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, अदालत ने पीड़िता और एफआईआर दर्ज कराने वाले वादी को भी नोटिस जारी किए हैं।