सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: POSH कानून के दायरे में नहीं आएंगे राजनीतिक दल
भारत के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में दाखिल अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को POSH कानून के अंतर्गत लाना व्यावहारिक नहीं होगा और ऐसा करना कई बार ब्लैकमेल का साधन बन सकता है।
नई दिल्ली/जनमत न्यूज। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम से जुड़े 2013 के कानून (POSH Act) के दायरे को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने राजनीतिक दलों को इस कानून के दायरे में लाने से साफ इनकार कर दिया है।
भारत के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में दाखिल अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को POSH कानून के अंतर्गत लाना व्यावहारिक नहीं होगा और ऐसा करना कई बार ब्लैकमेल का साधन बन सकता है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि राजनीतिक दल भी एक तरह के संस्थान हैं और वहां भी महिलाओं को काम करना पड़ता है, इसलिए उन्हें POSH कानून के तहत कवर किया जाना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों की प्रकृति और ढांचा निजी संस्थानों या कार्यस्थलों से अलग है।
गौरतलब है कि POSH कानून 2013 (Prevention of Sexual Harassment at Workplace Act) का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत कंपनियों, संस्थानों और संगठनों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनाना अनिवार्य है।

Janmat News 
