पाहलगाम हमले के बाद ब्रिटिश सांसद का बयान – “भारत को हर कदम पर हमारा समर्थन”
जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों से समर्थन मिलने लगा है।

देश/विदेश (जनमत): जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों से समर्थन मिलने लगा है। इसी कड़ी में ब्रिटेन के एक वरिष्ठ सांसद बॉब ब्लैकमैन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख का समर्थन करते हुए कहा है कि भारत चाहे जो भी कार्रवाई करे, ब्रिटेन उसके साथ खड़ा रहेगा। यहां तक कि अगर भारत सीमापार जाकर आतंकियों पर कार्रवाई करता है, तब भी उन्हें ब्रिटेन का पूरा सहयोग मिलेगा।
लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में इस हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष सभा आयोजित की गई। इस भावुक मौके पर कई ब्रिटिश सांसद, राजनयिक और भारतीय समुदाय के सदस्य मौजूद थे। सभा को संबोधित करते हुए सांसद ब्लैकमैन ने कहा, “यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने बताया कि उन्होंने ब्रिटिश संसद में इस विषय को उठाया है और सरकार से भारत के प्रति स्पष्ट समर्थन जताने की अपील की है। उन्होंने दोटूक कहा, “अगर आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जा सकता, तो उन्हें खत्म कर दिया जाना चाहिए। मेरी निजी राय है कि भारत का हर कदम न्यायोचित है और उसे पूरा समर्थन मिलना चाहिए – चाहे वह सैन्य कार्रवाई ही क्यों न हो।”
ब्लैकमैन, जो इंग्लैंड के हैरो ईस्ट क्षेत्र से सांसद हैं और भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किए जा चुके हैं, ने अपने कश्मीर दौरे को याद करते हुए घाटी की खूबसूरती और शांति की चर्चा की। उन्होंने कहा, “आतंकी नहीं चाहते कि घाटी में सुकून लौटे या पर्यटन फले-फूले, लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे।”
इस सभा में लेबर पार्टी की सांसद और इंडो-पैसिफिक मामलों की मंत्री केथरीन वेस्ट भी मौजूद थीं। उन्होंने हमले को “क्रूर और भयावह” करार देते हुए कहा कि पीड़ितों के परिवारों और भारत के नागरिकों के साथ पूरी संवेदना है। उन्होंने कहा, “अब वक्त है एकजुट होकर आतंक के खिलाफ मज़बूती से खड़े होने का।”
भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी ने अपने संबोधन में इस आतंकी हमले को भारत में सामान्य स्थिति, पर्यटन और सांप्रदायिक सौहार्द पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा, “यह मुंबई हमलों के बाद आम नागरिकों के खिलाफ सबसे बड़ी त्रासदी है। यह हमला सोच-समझकर धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया, ताकि डर और विभाजन फैलाया जा सके। लेकिन हम न भूलेंगे, न माफ करेंगे। अपराधी चाहे जहां भी हों, उन्हें इसकी सजा मिलेगी।”
उन्होंने पीड़ितों का जिक्र करते हुए बताया कि कुछ लोग हनीमून पर थे, कुछ परिवारों के साथ छुट्टी बिताने आए थे – उनकी मासूम जिंदगियां आतंक ने छीन लीं।
कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री एल. मुरुगन, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री संजय शिरसाट, ब्रिटिश सांसद और भारतीय मूल के समुदाय के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित थे। सभी ने आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर में एकजुटता जताई और पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
पाहलगाम की इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को मिल रहे समर्थन से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत के किसी भी सशक्त निर्णय को वैश्विक समुदाय में मजबूती मिल सकती है। अब सबकी निगाहें भारत सरकार के अगले क़दम और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।