भीषण गर्मी में योगी सरकार ने दी राहत, बिजली आपूर्ति में पेश की मिसाल
पूरा उत्तर प्रदेश भीषण गर्मी और लू की चपेट में था तब योगी सरकार ने बिजली आपूर्ति को लेकर एक अनुकरणीय मिसाल पेश की। रिकॉर्डतोड़ गर्मी के बावजूद प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से लेकर जिला मुख्यालयों तक बिजली आपूर्ति न सिर्फ शेड्यूल के मुताबिक रही, बल्कि तय घंटों से ज्यादा बिजली दी गई। ...

लखनऊ/जनमत:लखनऊ, 7 जून। अप्रैल और मई 2025 में जब पूरा उत्तर प्रदेश भीषण गर्मी और लू की चपेट में था तब योगी सरकार ने बिजली आपूर्ति को लेकर एक अनुकरणीय मिसाल पेश की। रिकॉर्डतोड़ गर्मी के बावजूद प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से लेकर जिला मुख्यालयों तक बिजली आपूर्ति न सिर्फ शेड्यूल के मुताबिक रही, बल्कि तय घंटों से ज्यादा बिजली दी गई। सरकार की इस सजगता ने न सिर्फ जनता को राहत दी, बल्कि प्रदेश को एक नया मॉडल भी दिया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार अप्रैल 2025 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा, जो सामान्य से 3 से 5 डिग्री अधिक था। वहीं मई में तो कई जिलों में पारा 45 डिग्री से ऊपर चला गया। 16 मई को बांदा में 46.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ, जो उस दिन देश का सबसे अधिक तापमान था। प्रयागराज, कानपुर, झांसी और वाराणसी जैसे शहरों में भी लगातार लू का प्रकोप बना रहा। IMD ने मई के मध्य में राज्य के कई हिस्सों के लिए लू की चेतावनी जारी की थी, विशेषकर दक्षिणी जिलों के लिए। लेकिन इस विकट स्थिति में भी योगी सरकार ने न सिर्फ बिजली आपूर्ति बनाए रखी, बल्कि उसे अपेक्षा से बेहतर करके दिखाया।
तय शेड्यूल से भी ज्यादा बिजली
वित्तीय वर्ष 2025-26 के अप्रैल और मई में यूपी की चारों प्रमुख डिस्कॉम इकाइयों (पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल और पश्चिमांचल) के साथ-साथ केस्को के तहत बिजली आपूर्ति के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि प्रदेश सरकार ने हर स्तर पर पूरी तैयारी कर रखी थी। ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 18.18 घंटे बिजली दी गई, जबकि निर्धारित शेड्यूल 18 घंटे का था। तहसील मुख्यालयों में 21.30 घंटे के तय शेड्यूल के मुकाबले औसतन 21.32 घंटे बिजली दी गई। जिला मुख्यालयों में 24 घंटे के लक्ष्य के सापेक्ष 23.45 घंटे की औसत आपूर्ति दर्ज की गई, जो खुद में उल्लेखनीय उपलब्धि है।
जिला मुख्यालयों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति
पूर्वांचल डिस्कॉम क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों को 18.20 घंटे, तहसील मुख्यालय को 21.31 घंटे और जिला मुख्यालयों को 23.49 घंटे बिजली मिली। इसी तरह मध्यांचल में क्रमशः 18.13 घंटे, 21.38 घंटे और 23.51 घंटे की आपूर्ति रही। दक्षिणांचल में ग्रामीण इलाकों को 18.50 घंटे, तहसील मुख्यालय को 21.28 घंटे और जिला मुख्यालयों को 23.52 घंटे बिजली मिली। पश्चिमांचल में ग्रामीण क्षेत्रों को 17.51 घंटे, तहसील मुख्यालयों को 21.32 घंटे और जिला मुख्यालयों को 23.26 घंटे की विद्युत आपूर्ति दी गई। केस्को के अंतर्गत आने वाले कानपुर में भी 23.26 घंटे बिजली आपूर्ति दर्ज की गई।
आमजन को मिली राहत
योगी सरकार ने इन भीषण परिस्थितियों में न सिर्फ विद्युत आपूर्ति बनाए रखी, बल्कि अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही अलर्ट पर रखकर हर संभव उपाय सुनिश्चित किए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऊर्जा विभाग और डिस्कॉम अधिकारियों ने लगातार निगरानी और फील्ड विजिट्स के माध्यम से पावर सप्लाई को सुचारू बनाए रखा। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्यों के साथ-साथ घरेलू उपभोग भी निर्बाध रूप से चलता रहा, जिससे किसानों और आम नागरिकों को काफी राहत मिली। यह न केवल एक प्रशासनिक उपलब्धि रही, बल्कि ऊर्जा प्रबंधन का एक मजबूत उदाहरण भी रहा। लू की लहरों के बीच जब कई राज्य बिजली कटौती और ट्रिपिंग से जूझ रहे थे, तब उत्तर प्रदेश ने यह दिखाया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और सुदृढ़ प्रबंधन के बल पर हर चुनौती को मात दी जा सकती है।