पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ा, अमेरिका ने इराक, कुवैत और बहरीन से स्टाफ हटाने के दिए आदेश
पश्चिम एशिया में गहराते संघर्ष और सुरक्षा चुनौतियों को भांपते हुए अमेरिका ने अपने दूतावासों से गैर-आवश्यक स्टाफ और उनके परिजनों को हटाने के आदेश दिए हैं।...

देश/विदेश (जनमत):पश्चिम एशिया में गहराते संघर्ष और सुरक्षा चुनौतियों को भांपते हुए अमेरिका ने अपने दूतावासों से गैर-आवश्यक स्टाफ और उनके परिजनों को हटाने के आदेश दिए हैं। इराक, कुवैत और बहरीन जैसे देशों में यह कदम उठाया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इसे क्षेत्रीय अस्थिरता से निपटने की एहतियाती कार्रवाई बताया है।
बुधवार को विदेश मंत्रालय और रक्षा विभाग ने एक साझा बयान में कहा कि पश्चिम एशिया में बढ़ते खतरे के बीच अमेरिकी मिशनों में केवल आवश्यक स्टाफ ही रहेंगे। बगदाद स्थित दूतावास से भी सभी गैर-जरूरी कर्मियों को वापस बुलाया जा रहा है। हालांकि दूतावास में पहले ही सीमित संख्या में कर्मचारी थे, इसलिए इससे अधिक असर नहीं पड़ेगा।
कुवैत और बहरीन में तैनात कर्मचारियों और उनके परिवारों को भी स्वेच्छा से लौटने की अनुमति दी गई है। उन्हें अमेरिका लौटने के लिए सरकारी सहायता और खर्च उपलब्ध कराया जाएगा। अमेरिका की सेंट्रल कमांड ने पुष्टि की कि रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय स्थिति को देखते हुए सैन्य परिवारों को भी सुरक्षित निकलने की मंजूरी दे दी है।
ट्रंप का बयान और परमाणु वार्ता पर चिंता:
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में कहा कि “यह क्षेत्र खतरनाक हो सकता है, इसलिए हमने आवश्यक कदम उठाए हैं।” उन्होंने कहा कि अमेरिका हालात पर नजर बनाए हुए है और आगे की स्थिति को लेकर सतर्क है।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए हो रही वार्ता पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत का अगला दौर ओमान में संभावित था, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसके होने की संभावना अब कम हो गई है।
ट्रंप ने न्यूयॉर्क पोस्ट के एक पॉडकास्ट में कहा कि उन्हें इस वार्ता से किसी ठोस नतीजे की उम्मीद नहीं है और अगर बातचीत असफल होती है तो अमेरिका या इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।