बिहार का नीतीश फैक्टर: सुशासन, बेदाग छवि और महिलाएं; नीतीश कुमार को बना गईं 'अजेय'
बिहार में नीतीश कुमार एक ऐसा किरदार बनकर उभर रहे हैं, जिनके सियासी किले को अगर अजेय दुर्ग कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
पटना/जनमत न्यूज़। बिहार में नीतीश कुमार एक ऐसा किरदार बनकर उभर रहे हैं, जिनके सियासी किले को अगर अजेय दुर्ग कहा जाए तो गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते 20 साल में 10वीं बार नीतीश मुख्यमंत्री बनने की दहलीज पर खड़े हैं। विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ रहे हैं। मतगणना के बीच माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ही एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री बनेंगे।
बिहार में एक बार फिर सत्ता का ताज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सिर सजने जा रहा है। एनडीए गठबंधन बिहार में निर्णायक जीत की ओर बढ़ रहा है। अभी तक के चुनाव परिणाम के मुताबिक भाजपा और जदयू गठबंधन 200 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं।
महिला वोटरों की पहली पसंद रहे नीतीश कुमार एक बार फिर अपने परंपरागत मतदाताओं के दम पर सत्ता में वापसी कर रहे हैं। उनकी बेदाग और सुशासन बाबू की छवि महागठबंधन के मुद्दों पर भारी पड़ती दिख रही है। नीतीश की इस जीत के कई मायने हैं।
ये हैं नीतीश कुमार की जीत की बड़ी वजहें
महिलाओं ने रखा मान
नीतीश कुमार ने इस चुनाव से पहले बिहार में अपने परंपरागत मतदाताओं को साधने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का एलान किया था। इसके तहत सरकार की ओर से 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10 हजार रुपये की सहायता राशि भेजी गई थी। इससे पहले भी नीतीश महिला मतदाताओं के रिझाने के लिए कई योजना का एलान कर चुके हैं।
चुनाव प्रचार में नीतीश की चुप्पी
चुनाव के एलान से पहले नीतीश कुमार की सेहत को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं। उनकी सेहत को लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। विपक्षी दलों के साथ-साथ चुनावी विश्लेषक नीतीश के स्वास्थ्य को एनडीए के लिए घातक मान रहे थे।
लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार संयमित दिखे, उनकी खराब सेहत के कोई वीडियो सामने नहीं आए। चुनाव में नीतीश अपने काम को गिनाते नजर आए और विपक्ष को लेकर कोई ऐसी बयानबाजी नहीं की, जिससे उन्हें चुनाव में नुकसान पहुंचता।
जंगलराज पर भारी पड़ा सुशासन
पूरे चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए लालू यादव के कार्यकाल के 'जंगलराज' के मुद्दे को उठाता दिखा। जिसका असर चुनाव के परिणामों पर भी देखने को मिल रहा है। नीतीश कुमार और भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान लालू यादव के कार्यकाल के दौरान कानून व्यवस्था के मुद्दे को लगातार उठाती दिखी। पीएम मोदी, अमित शाह अपनी रैलियों में नीतीश कुमार के सुशासन की जमकर तारीफ करते दिखे थे। नीतीश की शानदार छवि का असर चुनाव परिणामों के तौर पर सामने आया है।
नीतीश की व्यक्तिगत छवि
20 साल के शासन के बाद भी नीतीश पर बिहार में मतदाताओं का भरोसा कायम है। इतने लंबे कार्यकाल के बाद भी नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं। वहीं राजनीतिक दलों पर लगने वाले परिवारवाद के आरोपों से भी नीतीश कुमार बचे रहे हैं। इसके अलावा शराबबंदी, महिलाओं के लिए रोजगार योजना जैसे कार्यक्रमों ने उनकी छवि को ओर मजबूत बनाया है।

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