पितृपक्ष की शुरूआत चंद्र ग्रहण के साथ, जानें श्राद्ध व तर्पण का सही तरीका व समय !

पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है और इसे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत पवित्र समय माना जाता है। इन 16 दिनों के दौरान ...........

पितृपक्ष की शुरूआत चंद्र ग्रहण के साथ, जानें श्राद्ध व तर्पण का सही तरीका व समय !
Published By: JYOTI KANOJIYA

पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है और इसे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत पवित्र समय माना जाता है। इन 16 दिनों के दौरान लोग तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्मकांड करके पितरों को स्मरण करते हैं।

इस बार पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू हो रहा है, जब भाद्रपद पूर्णिमा के साथ ही पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। वहीं इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा, जब सूर्य ग्रहण भी घटित होगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोग अत्यंत दुर्लभ है, क्योंकि ऐसा योग पूरे 122 साल बाद बन रहा है। यही कारण है कि इस बार का पितृपक्ष विशेष महत्व रखता है

चंद्र ग्रहण का समय और प्रभाव
इस साल पितृपक्ष की शुरुआत के साथ ही एक विशेष खगोलीय घटना भी देखने को मिलेगी। 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा, जो भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका और न्यूजीलैंड तक दिखाई देगा। यह ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होकर 8 सितंबर की रात 1:26 बजे तक चलेगा। करीब 3 घंटे 28 मिनट तक चलने वाले इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में ढक जाएगा और लालिमा लिए हुए नज़र आएगा, जिसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है।इसके बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण भी पड़ेगा, लेकिन यह भारत में नहीं दिखेगा। यह दृश्य केवल न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ दक्षिणी इलाकों में ही देखने को मिलेगा।


पितरों का तर्पण कब और कैसे करें?
पितृपक्ष में तर्पण का विशेष महत्व माना गया है। यह न सिर्फ पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है, बल्कि पितृ दोष से मुक्ति पाने का उपाय भी है। सही समय, स्थान और विधि से किया गया तर्पण पुण्यदायी माना जाता है।

तर्पण का समय
तर्पण का सबसे शुभ समय दोपहर के बाद माना गया है। कुतुप मुहूर्त (सुबह 11:30 से दोपहर 12:30) और रौहिण मुहूर्त (12:30 से 1:30) तर्पण के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। इस बार पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण होने के कारण श्राद्ध करने वाले लोगों को 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से पहले तर्पण कर लेना चाहिए।