मलाला यूसुफजई की शांति की अपील: भारत-पाक को आतंक के खिलाफ मिलकर लड़ना चाहिए
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की तीखी आलोचना हो रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, इज़रायल और यूरोप के कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन में बयान दिए हैं।

देश/विदेश (जनमत): पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की तीखी आलोचना हो रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, इज़रायल और यूरोप के कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन में बयान दिए हैं। इसी कड़ी में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी आतंकवाद की सख्त निंदा करते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं, बल्कि असली दुश्मन आतंक और चरमपंथ है।
एक इंटरव्यू में मलाला ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को मिलकर आतंकवाद और विभाजन की ताकतों के खिलाफ कदम उठाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे संवेदनशील मुद्दों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और बातचीत को बढ़ावा देना चाहिए।
मलाला ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए कहा कि वह खुद पाकिस्तान में आतंकवाद का शिकार रह चुकी हैं। 2012 में तालिबान ने स्कूल जाते समय उन पर जानलेवा हमला किया था। उन्होंने सवाल उठाया कि कोई व्यक्ति जन्म से ही आतंकवादी नहीं होता, बल्कि कुछ परिस्थितियां और विचारधाराएं होती हैं जो लोगों को इस रास्ते पर ले जाती हैं। हमें हिंसा का जवाब शांति से देना होगा और उग्रवाद की जड़ों तक पहुंचकर उसका समाधान ढूंढना होगा।
मलाला ने उन परिवारों के प्रति संवेदना जताई है जिन्होंने आतंकवाद की वजह से अपने प्रियजनों को खोया है। उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में वह पाकिस्तान में अपने मित्रों और परिवार के लोगों की चिंता कर रही हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद और सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। गौरतलब है कि मलाला को 2014 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।