भारत-पाक तनाव के बीच भारतीय शेयर बाजार बना विदेशी निवेशकों की पहली पसंद
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, युद्ध जैसे हालात और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के माहौल में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार को एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में चुना है।

Business News: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, युद्ध जैसे हालात और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के माहौल में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार को एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में चुना है। विशेषज्ञों और विश्लेषकों की मानें तो भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की मजबूत अर्थव्यवस्था ने पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों को सीमित कर दिया है। सीमा पार से हुए मिसाइल हमलों के बावजूद भारतीय शेयर, करेंसी और बांड बाजारों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।
मई महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) लगातार 14 कारोबारी दिनों तक भारतीय शेयरों में खरीदारी कर चुके हैं, जिसमें कुल 43,940 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। बीते बुधवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुद्ध रूप से 2,585.86 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जबकि मंगलवार को यह आंकड़ा 3,794.52 करोड़ रुपये था।
बाजार पर नहीं दिखा टकराव का असर
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, नुवामा ग्रुप के अजय मारवाह का कहना है कि यदि शत्रुता समाप्त होती है, तो निवेश के माहौल पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा। सिटीबैंक के विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्व में भी भारत-पाक और भारत-चीन संघर्षों का शेयर बाजार पर अल्पकालिक असर ही पड़ा है। उदाहरण के लिए, 2019 के पुलवामा हमले और 2020 के गलवान संघर्ष के दौरान भी शेयर बाजार जल्दी ही स्थिर हो गया था।
स्थानीय कारक बना रहे सहारा
ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ के दौरान भी भारतीय बाजारों ने अच्छी परफॉर्मेंस दी थी। जेनस हेंडरसन इन्वेस्टर्स के सत धुरा का मानना है कि घरेलू मांग और मौद्रिक नीतियों की वजह से भारत को एक सुरक्षित निवेश गंतव्य माना जा रहा है। भले ही हालिया घटनाएं विदेशी निवेशकों को थोड़ा सतर्क करें, लेकिन घरेलू निवेश का प्रवाह मजबूत बना रहेगा।
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को मिल रहा वैश्विक समर्थन
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में GDP वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान जताया है, और भारत दुनिया के टॉप परफॉर्मिंग शेयर बाजारों में शामिल है। विदेशी निवेशक, जिन्होंने अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 तक भारतीय बाजार से निकासी की थी, अब फिर से वापसी कर चुके हैं और अप्रैल-मई में करीब 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया है।
इसके साथ ही भारत ने हाल ही में यूके के साथ बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते पर सहमति जताई है, जबकि अमेरिका के साथ भी व्यापार संबंधों को लेकर चर्चा जारी है। DBS बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव के अनुसार, वर्तमान अस्थिरता अल्पकालिक हो सकती है और दीर्घकाल में भारत की आर्थिक चमक बरकरार रहेगी।