बिहार: पुराने परिसीमन के आधार पर होगा पंचायत चुनाव, आरक्षण के प्रारूप में होगा बदलाव
बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद पंचायत चुनाव की चर्चा तेज हो गई है। वार्ड से लेकर जिला परिषद तक के संभावित उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण करना शुरू कर दिए हैं।
पटना/जनमत न्यूज़। बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद पंचायत चुनाव की चर्चा तेज हो गई है। वार्ड से लेकर जिला परिषद तक के संभावित उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण करना शुरू कर दिए हैं।
सोशल मीडिया के माध्यम से नए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अफवाह फैलाई जा रही है, जबकि 2026 में होने वाला पंचायत चुनाव पुराने परिसीमन के आधार पर ही होगा।
पंचायती राज विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंचायत चुनाव अक्टूबर 2026 में होना संभावित है। इंटरनेट मीडिया पर नए परिसीमन के आधार पर होने वाले पंचायत चुनाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि जनगणना के बाद ही परिसीमन बनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 2026 में जनगणना करने की घोषणा की गई है। अगर केंद्र सरकार द्वारा जनवरी-फरवरी 2026 में जनगणना कराया जाता है, तो उसकी अंतिम रिपोर्ट आने में लगभग एक साल समय लग जाता है, जबकि अंतिम रिपोर्ट आने से तीन-चार माह पहले ही पंचायत चुनाव कर लिया जाएगा। इंटरनेट मीडिया पर फैल रही खबरों पर उनके बयान से अब विराम लग जाएगा।
आरक्षण के प्रारूप में होगा बदलाव
उन्होंने बताया कि आरक्षण का प्रारूप इस बार बदल जाएगा। बताते चलें कि जिस पद पर 10-10 वर्ष अनुसूचित जाति एवं अति पिछड़ा रह चुका है, वहां सामान्य हो जाएगा। वैसे जनसंख्या के आधार पर ही अनुसूचित जाति एवं अति पिछड़ा सीट रिजर्व किया जाता है।
बताते चलें कि अंतिम जनगणना 2011 में हुई थी। इसके बाद 2021 में कोरोना कल होने के कारण जनगणना नहीं हो सकी। प्रत्येक पंचायत की जनसंख्या डेढ़ गुना बढ़ चुकी है।
प्रत्येक पंचायत की जनसंख्या लगभग 6500 होनी चाहिए, जबकि प्रत्येक पंचायत की जनसंख्या इस समय लगभग 10 हजार से अधिक हो चुकी है। जनगणना के बाद अगर परिसीमन कराया जाता है तो सभी प्रखंडों में सावा से डेढ़ गुना पंचायतों की संख्या बढ़ जाएगी।

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