विधायक-सांसद जी दफ्तर आएं तो सीट से उठ जाएं और... महाराष्ट्र में अधिकारियों के लिए फरमान

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश की चर्चा खूब की जा रही है। राज्य सरकार के गुरुवार को प्रदेश के अधिकारियों को नए दिशानिर्देश दिए हैं।

विधायक-सांसद जी दफ्तर आएं तो सीट से उठ जाएं और... महाराष्ट्र में अधिकारियों के लिए फरमान
Published By- Diwaker Mishra

मुंबई/जनमत न्यूज़। महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश की चर्चा खूब की जा रही है। राज्य सरकार के गुरुवार को प्रदेश के अधिकारियों को नए दिशानिर्देश दिए हैं। इन सरकारी आदेशों के अनुसार, प्रदेश के अधिकारियों से कहा गया है कि अगर कोई भी विधायक या सांसद उनके दफ्तर में आता है, तो सबसे पहले उससे सम्मानपूर्वक बात करनी होगी।

आदेश में यह भी कहा गया है कि विधायक या सांसदों के दफ्तर में आते ही अधिकारियों को अपनी कुर्सी से खड़ा होना चाहिए और सम्मान के साथ उनकी बातों को सुनना चाहिए। बातचीत के दौरान विनम्रता का परिचय देना चाहिए।

राज्य सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?

दरअसल, राज्य के मुख्य सचिव राजेश कुमार की ओर से जारी इस आदेश में कहा गया कि सरकारी परिपरत्र (GR) में कहा गया है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को उचित सम्मान देना प्रशासन को अधिक जवाबदेह और विश्वसनीय बनाता है। इसके साथ ही इन निर्देशों का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन की चेतावनी भी दी गई है।

बता दें कि इससे पहले हाल में ही सत्तारूढ़ दलों सहित कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अधिकारियों की ओर से उनसे मिलने या उनकी चिंताओं या समस्याओं का हल करने के लिए समय ना देने पर नाराजगी व्यक्त की थी। जीआर की प्रस्तावना में सरकार ने कहा कि वह सुशासन, पारदर्शिता और दक्षता को सर्वोच्च प्राथमिकता मानती है।

नए दिशानिर्देशों की खूब चर्चा

नए दिशानिर्देशों में कहा गया कि अगर कोई विधायक या सांसद किसी अधिकारी के दफ्तर में आता है, तो अधिकारियों को अपने सीट से खड़ा होना होगा और उसके साथ शिष्टाचार से पेश आना होगा। आदेश में कहा गया कि अधिकारियों को विधायकों और सांसदों के दौरे के दौरान उनकी बात ध्यान से सुनना होगा। कॉल पर भी विनम्र भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

विधायकों-सांसदों के पत्रों के लिए बनाए नया रजिस्टर

राज्य सरकार के इस आदेश में कहा गया कि हर दफ्तर में विधायक और सांसदों से मिले हर एक पत्र के लिए एक अलग रजिस्टर रखा जाना चाहिए। जिसका जवाब दो महीने के अंदर देना होगा। वहीं, जिन मामलों में समय पर जवाब देना मुमकिन नहीं है, वहां मामला डिपार्टमेंट हेड के पास भेजा जाना चाहिए और संबंधित लेजिस्लेटर को औपचारिक रूप से बताया जाना चाहिए।