फर्रुखाबाद में स्लीपर बसों पर लापरवाही का पहरा, 42 के बजाय 100 से अधिक बसें बिना सुरक्षा मानक के दौड़ रही सड़क पर

एआरटीओ प्रशासन वीएन चौधरी ने कहा कि जिन बसों में रिफ्लेक्टर या इमरजेंसी विंडो बंद पाई जाएगी, उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा।

फर्रुखाबाद में स्लीपर बसों पर लापरवाही का पहरा, 42 के बजाय 100 से अधिक बसें बिना सुरक्षा मानक के दौड़ रही सड़क पर
REPORTED BY - VARUN DUBEY, PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR

फर्रुखाबाद/जनमत न्यूज। जिले में स्लीपर बसों की अव्यवस्थित संचालन व्यवस्था यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गई है। पिछले 15 दिनों में हुई कई बस दुर्घटनाओं के बावजूद पुलिस और परिवहन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। विभागीय रिकॉर्ड में जहां केवल 42 स्लीपर बसें पंजीकृत हैं, वहीं सड़क पर 100 से अधिक बसें बिना आवश्यक सुरक्षा मानकों के दौड़ रही हैं।

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के लिए 40, जयपुर के लिए 32, जबकि पानीपत और अंबाला के लिए चार-चार बसें रोजाना चल रही हैं। इसके अलावा पड़ोसी जिलों से आने वाली करीब 20 बसें भी फर्रुखाबाद शहर से सवारियां भरकर निकलती हैं। इन बसों में न तो गैलरी का मानक सही है और न ही सीटों की दूरी निर्धारित नियमों के अनुरूप है, जिससे हादसे की स्थिति में यात्रियों के बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाता है।

शादी या पार्टी की बुकिंग के नाम पर बस संचालक अस्थायी परमिट लेकर इन बसों को दिल्ली, जयपुर और हरियाणा तक चला रहे हैं। केंद्र सरकार ने नियमों के तहत तीन लाख रुपये देकर एक वर्ष और 90 हजार रुपये देकर तीन महीने तक किसी भी प्रदेश में बस संचालन की छूट दी है, लेकिन इसका दुरुपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

वर्ष 2020 में कन्नौज के छिबरामऊ में इसी तरह की स्लीपर बस में आग लगने से 10 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि कई यात्री झुलस गए थे। उस हादसे के बाद भी सुरक्षा इंतजामों को लेकर कोई गंभीर सुधार नहीं हुआ। जांच में सिर्फ एक बस में दो किलो का फायर एक्सटिंग्विशर मिला, जबकि बाकी बसों में कोई सुरक्षा उपकरण नहीं था।

बस संचालक स्लीपर सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए गाड़ियों की बॉडी जरूरत से ज्यादा ऊंची कर देते हैं, यहां तक कि इमरजेंसी विंडो भी बंद कर दी जाती है। यह स्थिति किसी भी बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकती है।

एआरटीओ प्रवर्तन सुभाष राजपूत ने बताया कि मानक में कमी मिलने पर बसों के चालान किए जा रहे हैं। वहीं एआरटीओ प्रशासन वीएन चौधरी ने कहा कि जिन बसों में रिफ्लेक्टर या इमरजेंसी विंडो बंद पाई जाएगी, उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा।