‘बार में अश्लील डांस देखना कोई क्राइम नहीं’, HC ने मुंबई पुलिस को दिया झटका; कस्टमर बरी

आपराधिक दायित्व की सीमाओं को स्पष्ट करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी बार में डांसर डांस कर रही हैं, और वहां कोई मौजूद है तो वह अपराधी नहीं बन जाता। 

‘बार में अश्लील डांस देखना कोई क्राइम नहीं’, HC ने मुंबई पुलिस को दिया झटका; कस्टमर बरी
Published By- Diwaker Mishra

मुंबई/जनमत न्यूज़। डांस बार मामलों में पुलिस कार्रवाई को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। आपराधिक दायित्व की सीमाओं को स्पष्ट करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी बार में डांसर डांस कर रही हैं, और वहां कोई मौजूद है तो वह अपराधी नहीं बन जाता। 

यह कहते हुए अदालत ने चेंबूर निवासी एक व्यक्ति के खिलाफ दायर आरोपपत्र को खारिज कर दिया। इस शख्स को 4-5 मई, 2024 की रात सुरभि पैलेस बार और रेस्टोरेंट में पुलिस की छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था।

एक गुप्त सूचना के आधार पर की गई इस छापेमारी में रेस्टोरेंट मैनेजर, ऑर्केस्ट्रा कलाकारों और कई ग्राहकों सहित 11 लोगों को हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि वहां मौजूद महिलाएं अश्लील नृत्य कर रही थीं।

पुलिस ने लगाई ये धाराएं

बाद में, एक ग्राहक पर IPC की धारा 188 (सार्वजनिक व्यवस्था की अवज्ञा) और महाराष्ट्र होटल, रेस्टोरेंट और बार रूम में अश्लील नृत्य निषेध और महिलाओं (वहां कार्यरत) की गरिमा की सुरक्षा अधिनियम, 2016 की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस के अनुसार, उसने नर्तकियों को प्रोत्साहित किया था, जिससे अपराधों को बढ़ावा मिला।

आरोपी के वकील का पक्ष

आरोपों को चुनौती देते हुए, ग्राहक ने बॉम्बे हाई कोर्ट में तर्क दिया कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं। उसने कहा कि पुलिस रिपोर्ट को सच मान लेने पर भी, ऐसा कुछ नहीं है जिससे पता चले कि उसने किसी आदेश की अवहेलना की हो या किसी अवैध गतिविधि को बढ़ावा दिया हो। उसके वकील, सनी ए वास्कर ने ज़ोर देकर कहा कि सिर्फ़ उस बार के अंदर बैठना जहां डांस हो रहा हो, कानून के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।

अभियोजन पक्ष की दलील

अभियोजन पक्ष इससे असहमत था। अतिरिक्त लोक अभियोजक पीपी मालशे ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी से पता चलता है कि आवेदक नर्तकियों को प्रोत्साहित कर रहा था और इसलिए उसे इस स्तर पर दोषमुक्त नहीं किया जा सकता। हालांकि, न्यायमूर्ति एनजे जमादार ने सबूतों को अपर्याप्त पाया।

अदालत ने कहा कि आवेदक द्वारा कलाकारों को प्रोत्साहित करने के अस्पष्ट दावे के अलावा, पुलिस ने कोई प्रत्यक्ष कार्रवाई, कोई उकसावे, और कोई भी ऐसी सामग्री नहीं दिखाई जो साजिश या जानबूझकर मदद का संकेत देती हो। न्यायाधीश ने कहा कि पंचनामा में केवल बार में उसकी उपस्थिति दर्ज की गई थी।

अदालत ने कहा कि किसी ऐसे प्रतिष्ठान में मात्र उपस्थिति जहां डांस हो रहा हो, वैध आदेशों की अवहेलना या उकसावे की श्रेणी में नहीं आती। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया IPC या राज्य के अश्लील नृत्य अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनने पर, अभियोजन जारी रखना प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

इसके साथ ही, हाई कोर्ट ने ग्राहक के खिलाफ आरोप पत्र को रद्द कर दिया, जिससे अपराध में वास्तविक भागीदारी और घटनास्थल पर केवल उपस्थिति के बीच एक स्पष्ट रेखा खींच दी गई।