12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में SIR 2.0 शुरू: घर-घर पहुंच रहे BLO, वोटर लिस्ट में सुधार का बड़ा अभियान
चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR 2.0 अभियान शुरू किया। BLO घर-घर जाकर वोटर लिस्ट का वेरिफिकेशन करेंगे। अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को जारी होगी।
डिजिटल डेस्क/जनमत न्यूज़:- भारत के चुनाव आयोग ने मंगलवार से विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन - SIR 2.0) की प्रक्रिया 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य वोटर लिस्ट की शुद्धता सुनिश्चित करना और अवैध या दोहराए गए नामों को हटाना है।
इस व्यापक अभियान में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के लगभग 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। इनमें से चार राज्यों तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
घर-घर जाकर हो रहा वेरिफिकेशन
चुनाव आयोग की इस पहल के तहत बूथ लेवल अधिकारी (BLO) 4 दिसंबर 2025 तक घर-घर जाकर वोटरों से मुलाकात करेंगे, उनकी जानकारी की पुष्टि करेंगे और आवश्यक फ़ॉर्म भरवाएंगे। प्रपत्रों की जाँच और वेरिफिकेशन के बाद 9 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी और अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 तक प्रकाशित की जाएगी।
चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने बताया, “SIR के तहत BLO हर घर कम से कम तीन बार जाएंगे। यह पहल ‘शुद्ध निर्वाचक नामावली – मजबूत लोकतंत्र’ मिशन के तहत चलाई जा रही है, जिससे सुनिश्चित हो सके कि हर योग्य नागरिक वोटिंग अधिकार का लाभ उठा सके।”
किसे दिखाने होंगे दस्तावेज़?
यह कदम मुख्यत: उन मतदाताओं के लिए है जिनका नाम हाल के SIR या पुराने रिकॉर्ड से मैप नहीं हो पाया है। ऐसे लोगों को ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद निम्न दस्तावेज़ों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा:
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सरकारी कर्मचारी का पहचान पत्र या पेंशन ऑर्डर
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01.07.1987 से पहले जारी कोई भी सरकारी पहचान दस्तावेज़
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जन्म प्रमाणपत्र
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पासपोर्ट / शैक्षिक प्रमाणपत्र
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स्थायी निवास प्रमाणपत्र
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जाति प्रमाण पत्र (OBC/SC/ST)
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परिवार रजिस्टर
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भूमि/मकान/आवास आवंटन पत्र
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आधार कार्ड (सिर्फ पहचान हेतु)
राज्यों में विरोध, तो कहीं सहयोग
तमिलनाडु सरकार ने SIR 2.0 प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस पहल को “योग्य मतदाताओं को हटाने की साजिश” बताया है। जबकि बिहार में हुए हालिया SIR के दौरान 68 लाख नाम सूची से हटाए गए थे, जिसके बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बना।
वहीं, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में BLOs द्वारा घर-घर जाकर फॉर्म वितरण का कार्य तेज़ी से जारी है। उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल) में BLOs लोगों को प्रक्रिया समझाते और फ़ॉर्म भरने में सहायता करते देखे गए।
SIR प्रक्रिया क्यों आवश्यक?
चुनाव आयोग के अनुसार, SIR का उद्देश्य “वोटर लिस्ट से अवैध और गैर-योग्य नामों को हटाना, साथ ही नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना” है। विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां अवैध विदेशी नागरिकों का मुद्दा संवेदनशील है, जैसे पश्चिम बंगाल और असम, यह अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
असम में अलग से होगी प्रक्रिया
असम में यह प्रक्रिया अभी शुरू नहीं की गई है, क्योंकि वहाँ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता सत्यापन की दूसरी प्रक्रिया पहले से ही जारी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि राज्य के लिए अलग से सुधार आदेश जारी किए जाएंगे।

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