प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा: नगर पंचायत अध्यक्ष और ईओ की मिलीभगत से अपात्रों को बांटे गए आवास, पात्र रह गए वंचित

नगर पंचायत अध्यक्ष की छत्रछाया और कार्यवाहक अधिशासी अधिकारी (ईओ) की सरपरस्ती में 1156 अपात्रों को अवैध रूप से आवास योजना का लाभ दिलाया गया, जबकि वास्तविक पात्र लाभार्थियों को योजना से वंचित कर दिया गया।

प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा: नगर पंचायत अध्यक्ष और ईओ की मिलीभगत से अपात्रों को बांटे गए आवास, पात्र रह गए वंचित
REPORTED BY - Anoop Raizada, PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR

शीशगढ़/बरेली/जनमत न्यूज। उत्तर प्रदेश के जनपद बरेली के तहसील मीरगंज अंतर्गत नगर पंचायत शीशगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) को लेकर गंभीर अनियमितता और फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। आरोप है कि नगर पंचायत अध्यक्ष की छत्रछाया और कार्यवाहक अधिशासी अधिकारी (ईओ) की सरपरस्ती में 1156 अपात्रों को अवैध रूप से आवास योजना का लाभ दिलाया गया, जबकि वास्तविक पात्र लाभार्थियों को योजना से वंचित कर दिया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगर पंचायत शीशगढ़ के ईओ को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने वित्तीय लेन-देन के आधार पर फर्जी पात्रता प्रमाण पत्र तैयार कर अपात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत करा दिए।

ईओ की ओर से डूडा (DUDA) बरेली को दी गई रिपोर्ट के आधार पर ही अपात्रों को आवास योजना का लाभ मिला। जबकि नियमानुसार, तहसील प्रशासन को पात्रता की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, लेकिन मीरगंज तहसील प्रशासन ने अब तक कोई जांच या कार्रवाई नहीं की।

यह पूरा मामला उन सैकड़ों गरीब परिवारों के साथ अन्याय है, जो वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र होते हुए भी वंचित रह गए। सरकारी धन और संसाधनों को अनुचित तरीके से अपात्रों को वितरित करना, सरकारी योजना का घोर उल्लंघन है।

हालांकि यह मामला स्थानीय प्रशासन और उच्च अधिकारियों के संज्ञान में है, लेकिन अब तक न तो मीरगंज तहसील प्रशासन ने जांच की, न ही किसी तरह की कानूनी या दंडात्मक कार्रवाई की गई। यह चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है और संपूर्ण जांच की मांग को मजबूती दे रही है।

इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस मामले में सीबीआई या सतर्कता जांच होनी चाहिए, जिससे दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और असली पात्रों को उनका हक मिल सके।