रायबरेली: बुल्डोजर का भय दिखाकर पनीर व्यवसायी से रंगदारी वसूलने वालों पर FIR, सरगर्मी से तलाश रही पुलिस
बुल्डोजर कार्रवाई का डर दिखाकर पनीर व्यवसायी से रंगदारी वसूलने के मामले में रायबरेली जनपद की सलोन पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है।
रायबरेली से महताब खान की रिपोर्ट
रायबरेली/जनमत न्यूज़। बुल्डोजर कार्रवाई का डर दिखाकर पनीर व्यवसायी से रंगदारी वसूलने के मामले में रायबरेली जनपद की सलोन पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस पूरे प्रकरण को लेकर तीन लोगों के खिलाफ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज हुआ है। जिसमें नबी बक्स, प्रशांत तिवारी समेत जितेंद्र सिंह योगी सेवक का नाम भी शामिल है। पुलिस इन सभी की सरगर्मी से तलाश कर रही है।
दूसरी तरफ इस मामले को लेकर पुलिस विभाग के कुछ लोग भी जांच के दायरे में हैं। सूत्रों के अनुसार जल्द ही कुछ विभागीय कर्मचारियों पर भी इस मामले में गाज गिर सकती है। आपको बताते चलें कि 2 दिन पहले सलोन कोतवाली क्षेत्र के घोसी का पुरवा गांव की रहने वाली सरवरी ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर अपने पति साबिर और पुत्र मो. साहिद को पुलिस द्वारा फर्जी तरीके से गिरफ्तार करने और गुंडों के द्वारा रंगदारी का दबाव बनाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे।
उसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने पीड़ित परिवार के यहां छापेमारी कर भारी मात्रा में नकली पनीर बरामद होने का दावा किया। पीड़ित परिवार का कहना है कि यह तमाम कार्रवाई क्षेत्र के ही कुछ लोगों के द्वारा रंगदारी का दबाव बनाने के लिए कराई गई थी। पुलिस अधीक्षक तक यह पूरा मामला पहुंचने के बाद काफी संगीन बन गया।
जिसके बाद एसपी के आदेश पर सलोन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उक्त तीन लोगों के खिलाफ रंगदारी का मुकदमा दर्ज किया है। जिसमें पीड़ित ने आरोप लगाया है कि 1 साल पहले पनीर की सैंपलिंग के बाद धमका कर उससे 15000 रुपए लिए गए थे। इसी प्रकार 11 नवंबर को सूची गांव के रहने वाले जितेंद्र प्रताप सिंह उर्फ योगी सेवक ने घर पर बुलडोजर चलवाने की धमकी देकर उसे 10 हजार की वसूली की।
पीड़ित के अनुसार उसके पास फोन कॉल रिकॉर्डिंग भी है। जिसमें साफ तौर पर रंगदारी न देने पर पूरे परिवार को फंसाने की धमकी दी जा रही है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करके फर्जी तरीके से गिरफ्तार कर लाए गए पनीर व्यवसायी को भी रिहा कर दिया है। मामले की विवेचना अवर निरीक्षक विजय शंकर यादव को सौंपी गई है।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि पीड़ित ने दो दिन पहले ही पुलिस अधीक्षक को जो शिकायती पत्र दिया था उसमें दरोगा विजय शंकर यादव पर भी 60 हजार रुपए दबाव बनाकर वसूलने का आरोप लगाया था। अब उन्हीं को मामले की विवेचना सौंपे जाने से पुलिस की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।

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