स्याना हिंसा मामला: 7 साल बाद कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 38 दोषियों को सजा
बुलंदशहर जिले के बहुचर्चित स्याना हिंसा मामले में 7 साल बाद अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। एडीजे-12 न्यायमूर्ति गोपाल जी की कोर्ट ने शुक्रवार को कुल 38 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

बुलंदशहर/जनमत न्यूज। बुलंदशहर जिले के बहुचर्चित स्याना हिंसा मामले में 7 साल बाद अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। एडीजे-12 न्यायमूर्ति गोपाल जी की कोर्ट ने शुक्रवार को कुल 38 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
अदालत ने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के मामले में प्रशांत नट, डेविड, जोनी, राहुल और लोकेन्द्र उर्फ मामा को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, अन्य 33 दोषियों को बलवा, शासकीय कार्य में बाधा और जानलेवा हमले के मामले में सात-सात साल की कठोर कैद की सजा दी गई।
यह घटना उस समय हुई जब स्याना क्षेत्र के चिंगरावठी गांव में गोवंश के अवशेष मिलने की सूचना के बाद भारी संख्या में लोग एकत्र हो गए थे। गुस्साई भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया और मौके पर मौजूद पुलिस टीम पर हमला कर दिया। इस हिंसा में तत्कालीन स्याना कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय युवक सुमित की हत्या कर दी गई थी।
इस मामले में पिछले 7 सालों तक लगातार सुनवाई चली। सैकड़ों गवाह पेश हुए, कई अहम सबूत जुटाए गए और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
फैसले के दौरान बुलंदशहर कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। फैसला सुनाए जाने के बाद पीड़ित परिवारों ने राहत की सांस ली, वहीं दोषियों के परिजन भावुक नजर आए। यह फैसला न सिर्फ पीड़ित परिवारों के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि कानून और व्यवस्था पर जनता का भरोसा भी मजबूत करता है।