आंगनबाड़ी भर्ती में आय प्रमाण पत्र को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा, लेखपाल–प्रधान पर मिलीभगत का आरोप
पीड़िता ने प्रशासन से पूरे प्रकरण की निष्पक्ष पुनः जांच कराने, दोषी अधिकारियों व संबंधित लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने तथा आय प्रमाण पत्र का पुनर्मूल्यांकन कराने की मांग की है।
बलरामपुर से गुलाम नबी की रिपोर्ट —
बलरामपुर/जनमत न्यूज। जनपद बलरामपुर के विकास खण्ड हरेया सतघरवा अंतर्गत ग्राम सोतीपुर में आंगनबाड़ी कार्यकत्री भर्ती प्रक्रिया के दौरान आय प्रमाण पत्र में गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है। एक महिला अभ्यर्थी ने क्षेत्रीय लेखपाल और ग्राम प्रधान पर मिलीभगत कर नियमों के विपरीत आय प्रमाण पत्र जारी कराने का आरोप लगाया है, जिससे भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
पीड़िता के अनुसार मोतीपुर-2 आंगनबाड़ी कार्यकत्री पद के लिए उन्होंने आय प्रमाण पत्र बनवाने हेतु आवेदन किया था। उनका परिवार भूमिहीन है और पति कृषि मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। शासनादेश के अनुसार मनरेगा मजदूरी व अन्य स्रोतों को मिलाकर परिवार की वार्षिक आय लगभग ₹43,700 बनती है, लेकिन बिना किसी स्थलीय जांच के उनकी आय ₹54,000 दर्शा दी गई, जिससे वे चयन की दौड़ में पीछे हो गईं।
वहीं दूसरी ओर ग्राम प्रधान श्रीमती कन्या कुमारी के प्रभाव में श्रीमती राजलक्ष्मी देवी पत्नी यशपाल चौधरी का आय प्रमाण पत्र मात्र ₹46,000 वार्षिक जारी कर दिया गया। आरोप है कि उक्त अभ्यर्थी के परिवार के पास 5.37 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि, पक्का दो मंजिला मकान, बोलेरो वाहन, बुलेट मोटरसाइकिल, दो ट्रैक्टर तथा शस्त्र लाइसेंस जैसी संपत्तियां मौजूद हैं, इसके बावजूद आय कम दर्शाई गई।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि पिता-पुत्र को संयुक्त परिवार में रहते हुए भी कागजों में फर्जी बंटवारा दिखाकर अलग-अलग आय प्रदर्शित की गई, ताकि वास्तविक आय छिपाई जा सके। इतना ही नहीं, भर्ती प्रक्रिया के समय जिन वाहनों के दस्तावेज अभ्यर्थी के नाम थे, उन्हें बाद में ₹10 की नोटरी पर बेचीनामा दिखाकर दूसरे के नाम दर्शा दिया गया।
मामले को लेकर पीड़िता ने 9 मई 2025 को उपजिलाधिकारी बलरामपुर सदर को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन आरोप है कि जांच अधिकारी ने दोषी लेखपाल को बचाने के उद्देश्य से एकपक्षीय जांच कर उसे क्लीन चिट दे दी। इससे पीड़िता में गहरा रोष व्याप्त है।
पीड़िता ने प्रशासन से पूरे प्रकरण की निष्पक्ष पुनः जांच कराने, दोषी अधिकारियों व संबंधित लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने तथा आय प्रमाण पत्र का पुनर्मूल्यांकन कराने की मांग की है। यह मामला अब जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।

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