BSNL की वापसी या आकड़ों का खेल? मुनाफे के पीछे की असली कहानी

लगभग दो दशकों बाद भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने मुनाफे की रिपोर्ट दी है। लेकिन इस टर्नअराउंड की हकीकत क्या है? जानिए कैसे एक के बाद एक वित्तीय चालों, संपत्ति की बिक्री और सरकारी सहयोग से इस मुनाफे की तस्वीर बनी है।

BSNL की वापसी या आकड़ों का खेल? मुनाफे के पीछे की असली कहानी
Published By: Satish Kashyap

Business News:  BSNL ने 18 साल के लंबे घाटे के बाद पहली बार दो लगातार तिमाहियों में लाभ दिखाया है। वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च) में कंपनी ने ₹280 करोड़ और इससे पिछली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में ₹262 करोड़ का फायदा दर्ज किया। हालांकि इस आंकड़े के पीछे के तथ्यों पर कई विशेषज्ञ और ऑडिटर सवाल खड़े कर रहे हैं।

वेतन खर्च की चालाकी:
कंपनी ने अपने कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में से ₹1,042 करोड़ को "कैपिटल वर्क-इन-प्रोग्रेस" (CWIP) में दिखाया, यानी इसे सीधे खर्च न मानकर भविष्य की परिसंपत्तियों का हिस्सा बना दिया गया। इससे तात्कालिक घाटा कम दिखाया गया।

संपत्तियों की नीलामी:
BSNL ने पिछले साल की तुलना में 77% अधिक संपत्ति बेचकर ₹1,120 करोड़ की आमदनी की।

स्पेक्ट्रम लागत का पुनःगणना:
स्पेक्ट्रम की लागत को नई "यूनिट-बेस्ड एमॉर्टाइजेशन" प्रणाली से गिना गया, जिससे ₹1,186 करोड़ की हानि कम दर्शाई गई।

ऑडिटर की चिंता:
VK जिंदल एंड कंपनी का कहना है कि ₹1,031.5 करोड़ को CWIP में डालने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं हैं, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठते हैं।

पेंशन फंड की कमी:
ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट फंड में ₹583.7 करोड़ की कमी है, जिससे भविष्य में वित्तीय संकट की आशंका बनी हुई है।

सरकारी फंडिंग में अनियमितता:
BSNL को सरकारी प्रोजेक्ट्स के लिए मिले ₹3,018 करोड़ में से सिर्फ ₹1,138 करोड़ बैंक में बचे हैं। बाकी ₹1,880 करोड़ की जानकारी अस्पष्ट है। कंपनी का तर्क है कि कई बिल अभी लंबित हैं।

मुख्य कारोबार में गिरावट:
TRAI के मुताबिक, जनवरी-मार्च 2024 में BSNL ने 6.69 लाख ग्राहक गंवाए। मोबाइल और डेटा सेवाओं की आमदनी में भी कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई। विशेषज्ञ पराग कर के अनुसार, कंपनी का मुनाफा ज़मीन बेचने से आया है, न कि उसके मुख्य व्यवसाय से।

एंटरप्राइज सेगमेंट में भी कमजोरी:
इस सेगमेंट की आमदनी 1.4% गिरकर ₹5,090 करोड़ रह गई।

भविष्य की प्रमुख चुनौतियां:

  1. नेटवर्क लागत: 4G और 5G नेटवर्क के लिए किए गए निवेश पर भविष्य में भारी मूल्यह्रास का दबाव रहेगा।

  2. सरकारी सहयोग पर निर्भरता: ₹26,000 करोड़ के सहायता पैकेज के बिना यह उभार संभव नहीं था।

  3. ग्राहकों का भरोसा: लगातार ग्राहक खोने और धीमी 4G रोलआउट के चलते कंपनी की आमदनी पर असर पड़ सकता है।

BSNL और सरकार का पक्ष:
कंपनी का दावा है कि CWIP में खर्च दिखाना टेलीकॉम सेक्टर की सामान्य प्रक्रिया है और उसका सुधार वास्तविक है। वहीं, दूरसंचार मंत्रालय इसे "एसेट मोनेटाइजेशन" कहते हुए सकारात्मक पहल करार देता है।