नेपाल में व्यापक हिंसा की वजह, सेना की तैनाती के बावजूद स्थिति गंभीर, 100 से अधिक गिरफ्तारी

नेपाल में हिंसा का दौर जारी है, और सेना की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों का उग्र विरोध जारी है। अब तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो चुकी है, और 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, हिंसा में अब आंशिक कमी देखने को मिल रही है। इस बदलाव को देखते हुए नेपाल के अधिकारियों ने काठमांडू के पूर्वी हिस्से में सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद लगाए गए कर्फ्यू को शनिवार को हटा लिया।

नेपाल में व्यापक हिंसा की वजह, सेना की तैनाती के बावजूद स्थिति गंभीर, 100 से अधिक गिरफ्तारी
Published By: Satish Kashyap

 नई दिल्ली (जनमत):नेपाल में हिंसा का दौर जारी है, और सेना की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों का उग्र विरोध जारी है। अब तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो चुकी है, और 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, हिंसा में अब आंशिक कमी देखने को मिल रही है। इस बदलाव को देखते हुए नेपाल के अधिकारियों ने काठमांडू के पूर्वी हिस्से में सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद लगाए गए कर्फ्यू को शनिवार को हटा लिया।

विवरण के मुताबिक, काठमांडू के कुछ हिस्सों में शुक्रवार को तनाव फैल गया जब राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय पर हमला किया, कई वाहनों को आग लगा दी और तिनकुने क्षेत्र में दुकानों में लूटपाट की। सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोग मारे गए। स्थिति को काबू में लाने के लिए सेना को तैनात किया गया। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने बताया कि शुक्रवार शाम 4:25 बजे कर्फ्यू लगाया गया था, जिसे शनिवार सुबह 7 बजे हटा लिया गया।

प्रदर्शनकारी राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे थे। विरोध प्रदर्शन के मुख्य संयोजक दुर्गा प्रसाई सुरक्षा बैरिकेड तोड़कर बुलेटप्रूफ वाहन में बानेश्वर की ओर बढ़े, जहां संसद भवन स्थित है, और फिर प्रदर्शन हिंसक हो गया। गिरफ्तार किए गए लोगों में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के महासचिव धवल शमशेर राणा और केंद्रीय सदस्य रवींद्र मिश्रा शामिल हैं। काठमांडू पुलिस के मुताबिक, हिंसक प्रदर्शनों में 53 पुलिसकर्मी, 22 सशस्त्र पुलिस बल के जवान और 35 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं।

हिंसा के दौरान 14 इमारतों में आग लगाई गई, 9 इमारतों में तोड़फोड़ की गई, 9 सरकारी वाहनों को जलाया गया और 6 निजी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। प्रदर्शनकारियों ने तिनकुने इलाके में कांतिपुर टेलीविजन भवन और अन्नपूर्णा मीडिया हाउस पर भी हमला किया। नेपाल के राजनीतिक दलों ने 2008 में संसद के माध्यम से 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त किया था और देश को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया था।

राजशाही समर्थक तब से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं, जब से पूर्व नरेश ने लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर अपने वीडियो संदेश में राजशाही के समर्थन की अपील की थी। 9 मार्च को भी राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं ने पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में रैली निकाली थी, जब वह धार्मिक स्थलों का दौरा करके पोखरा से त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे।

Published By: Satish Kashyap