पाकिस्तान ने अमेरिका और चीन को एक मंच पर लाकर खनिज निवेश सम्मेलन की शुरुआत की
America and China :अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हमलों और चीन सहित कई देशों के साथ बढ़ते व्यापार युद्ध के बीच पाकिस्तान ने अमेरिका और चीन जैसे कट्टर विरोधियों को एक मंच पर ला खड़ा किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ हमलों और चीन सहित कई देशों के साथ बढ़ते व्यापार युद्ध के बीच पाकिस्तान ने अमेरिका और चीन जैसे कट्टर विरोधियों को एक मंच पर ला खड़ा किया है। पाकिस्तान ने अपनी खनन और खनिज क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका, चीन और सऊदी अरब के प्रतिनिधियों के साथ इस्लामाबाद में एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया है। इस सम्मेलन में अधिकारियों को अरबों डॉलर के निवेश की उम्मीद है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान के विशाल खनिज भंडार, जैसे तांबा, सोना, लिथियम, और अन्य खनिजों को वैश्विक निवेशकों के सामने लाना है और इस लंबे समय से उपेक्षित क्षेत्र में निवेश के अवसरों को बढ़ावा देना है।
पाकिस्तान खनिज निवेश मंच का उद्घाटन उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने किया, जिन्होंने अपने भाषण में कहा कि "पाकिस्तान वैश्विक खनन महाशक्ति बनने की दिशा में है।" उन्होंने कहा कि देश के पास दुनिया के सबसे बड़े अज्ञात खनिज भंडारों में से एक है, और वह संभावित निवेशकों को आकर्षित करना चाहता है। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी उपस्थित थे।
पाकिस्तान के पास खनिजों का बड़ा भंडार है, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े तांबे और सोने के खनिजों में से एक रेको डिक भी शामिल है। यह खनिज भंडार पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जो हाल के वर्षों में बलूच अलगाववादियों द्वारा किए गए हमलों से प्रभावित रहा है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन यहां की जनसंख्या कम है और यह देश के जातीय बलूच अल्पसंख्यकों का घर है, जो केंद्र सरकार से भेदभाव और शोषण का आरोप लगाते हैं।
पाकिस्तान का कहना है कि उसने बलूचिस्तान में उग्रवाद को काबू पा लिया है, लेकिन प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हाल ही में हमले जारी रखे हैं। बीएलए सुरक्षा बलों और चीनी नागरिकों को निशाना बनाती है, जो चीन द्वारा वित्तपोषित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत पाकिस्तान में काम कर रहे हैं। बीएलए चीनी वित्तपोषित परियोजनाओं पर रोक लगाने और चीनी कर्मचारियों को पाकिस्तान छोड़ने की मांग करती है।
पाकिस्तान इस खनिज सम्मेलन के माध्यम से दो प्रमुख उद्देश्य पूरा करने की कोशिश कर रहा है। पहला, वह यह दिखाना चाहता है कि अमेरिका और चीन दोनों उसके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और वह दोनों देशों के साथ व्यापारिक और राजनयिक संबंधों को मजबूत रखना चाहता है। दूसरा, वह बलूचिस्तान के अशांत प्रांत में स्थित खनिजों के उत्खनन का काम अमेरिका, चीन या सऊदी अरब को सौंपना चाहता है। इसके जरिए वह न केवल विदेशी ताकतों और परियोजनाओं को बलूचिस्तान में आकर्षित करना चाहता है, बल्कि इन खनिजों के दोहन से प्राप्त राजस्व से अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधारना चाहता है। पाकिस्तान के लिए अकेले बलूचिस्तान से खनिज संसाधनों का दोहन करना मुश्किल हो सकता है।