स्वामी प्रसाद मौर्य ने निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली और ऑपरेशन सिंदूर पर मोदी सरकार को घेरा
पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को भदोही में लोक मोर्चा की एक बड़ी बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने चुनावी व्यवस्था, निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली और केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखे सवाल खड़े किए।

भदोही/जनमत न्यूज। अपना जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को भदोही में लोक मोर्चा की एक बड़ी बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने चुनावी व्यवस्था, निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली और केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखे सवाल खड़े किए।
मौर्य ने कहा कि निर्वाचन आयोग देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था है, लेकिन आज उस पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। मतदाता सूची में नाम जोड़ना या काटना राजनीतिक दलों का नहीं, बल्कि निर्वाचन आयोग का कार्य है। यह जिम्मेदारी जिला निर्वाचन कार्यालय की होती है, जो जिलाधिकारी के अधीन कार्य करता है। जिलाधिकारी से लेकर एडीएम, एसडीएम, अन्य राजस्व कर्मी और बीएलओ ही नाम घटाने-बढ़ाने का काम करते हैं। उन्होंने पूछा, “क्या कभी निर्वाचन आयोग ने किसी जिला निर्वाचन अधिकारी से यह पूछा कि अचानक इतने वोट कैसे बढ़ गए या घट गए? इससे साफ है कि आयोग अपने अधिकारियों की खामियों को छुपाने का काम कर रहा है। यदि आयोग सच में गंभीर होता तो ऐसे मामलों में कार्रवाई होती।”
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मौर्य ने कहा कि इसकी घोषणा के बाद जनता ने स्वागत किया था, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही मोदी सरकार ने युद्धविराम की घोषणा कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे ऑपरेशन सिंदूर का मजाक बना और बहनों के सिंदूर की भावनाओं को ठेस पहुंची। मौर्य ने सवाल उठाया, “आतंकवादियों का सफाया किए बिना इतनी जल्दी सीजफायर का ऐलान क्यों हुआ? यह केंद्र सरकार की नाकामी है और अब सरकार के पास जनता के सवालों का कोई जवाब नहीं है।”
मौर्य के इन बयानों ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां उन्होंने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाए, वहीं दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गंभीर आरोप लगाए।