महाशिवपुराण के प्रथम हिंदी पद्य रूपांतरण "शिवायन" महाग्रंथ का भव्य विमोचन संपन्न

जनपद में सनातन धर्म के आध्यात्मिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, महाशिवपुराण के प्रथम हिंदी पद्य रूपांतरण "शिवायन" का भव्य विमोचन प्रयागराज महाकुंभ स्थित श्रीसर्वेश्वर निम्बार्क सेवाधाम नगर में संपन्न हुआ।

महाशिवपुराण के प्रथम हिंदी पद्य रूपांतरण "शिवायन" महाग्रंथ का भव्य विमोचन संपन्न

महाकुंभ नगर/जनमत। जनपद में सनातन धर्म के आध्यात्मिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, महाशिवपुराण के प्रथम हिंदी पद्य रूपांतरण "शिवायन" का भव्य विमोचन प्रयागराज महाकुंभ स्थित श्रीसर्वेश्वर निम्बार्क सेवाधाम नगर में संपन्न हुआ।  
इस ऐतिहासिक ग्रंथ को परम पूज्य संत श्री कृष्ण मुरारी सहाय सक्सेना ने (1915-2000) ने अपनी 40 वर्षों की कठोर तपस्या से रचा था। इस महाग्रंथ में 11 खंड, 411 अध्याय और 4011 दोहे संकलित हैं, जो शिव महिमा का दिव्य गान करते हैं। गीता प्रेस, गोरखपुर के विद्वानों के मार्गदर्शन में संपादित इस ग्रंथ का प्रकाशन ज्ञान देवी प्रकाशन, भोपाल द्वारा किया गया है।  
शिवायन विमोचन समारोह में देश-विदेश से आए विद्वानों, संत समाज, धर्माचार्यों एवं श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मुख्य अतिथि आचार्य महामण्डलेश्वर श्रीमहन्त स्वामी श्रीपद्मनाभशरणदेवाचार्य परमाध्यक्ष श्रीनिम्बार्क परिषद् ने इस महाग्रंथ को सनातन संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि "शिवायन केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि शिवतत्व की आध्यात्मिक अनुभूति का महासागर है। उन्होंने कहां रामचरितमानस पद के लिए जिस तरह से लोग जागरुक है और राम मंदिर बना उसी तरह से 'शिवायन' पढ़ कर लोग जागरूक होंगे और जल्दी ज्ञानवापी भी शिव मंदिर बनेगा।

कार्यक्रम में विभिन्न वेदाचार्यों एवं संतों ने शिव महिमा पर अपने विचार व्यक्त किए और महाशिवपुराण के इस काव्यात्मक स्वरूप को एक अद्वितीय धार्मिक उपलब्धि बताया। विद्वानों ने इस बात पर बल दिया कि "शिवायन" शिवभक्तों के लिए साधना, ज्ञान और भक्ति का अनुपम स्रोत सिद्ध होगा।  
इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने इस ग्रंथ के पठन-पाठन का संकल्प लिया और इसे घर-घर तक पहुँचाने का संकल्प दोहराया। आयोजन के अंत में भक्तों को "शिवायन" की प्रतियाँ वितरित की गईं।

REPORTED BY - BHIM SHANKAR

PUBLISHED BY - MANOJ KUMAR