निर्जला एकादशी 2025: जानें व्रत की तिथि, महत्व और पालन करने के नियम
निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, सभी एकादशी व्रतों में सबसे पुण्यदायी मानी जाती है। यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखा जाता है,...

Religious News:निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, सभी एकादशी व्रतों में सबसे पुण्यदायी मानी जाती है। यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखा जाता है, जो इस वर्ष गृहस्थों के लिए 6 जून और वैष्णवों के लिए 7 जून को मनाई जाएगी। यह स्पष्टता भारतीय विद्वत परिषद से जुड़े आचार्यों ने दी है।
इस व्रत को करने से पूरे वर्ष की एकादशियों का फल प्राप्त होता है, खासकर उन भक्तों के लिए जो वर्ष भर एकादशी व्रत नहीं कर पाते। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और आत्मिक शुद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी देता है।
निर्जला एकादशी के दिन श्रद्धालुओं को जल और अन्न दोनों का त्याग करना होता है। केवल व्रत के पारण के बाद जल ग्रहण किया जाता है। बीमार होने की स्थिति में जल सेवन की छूट होती है। इस दिन नमक भी वर्जित होता है, लेकिन यदि अत्यंत आवश्यक हो तो सेंधा नमक लिया जा सकता है।
परिवार के सभी सदस्यों को इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और चावल का परहेज रखना चाहिए। व्रत के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें, जिससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे।