योगिनी एकादशी 2025: व्रत विधि, महत्व और पूजन का संपूर्ण विवरण
आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, 21 जून 2025 को मनाई जाएगी।

आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, 21 जून 2025 को मनाई जाएगी। यह एकादशी व्रत आध्यात्मिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन का उपवास 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्यफल देता है।
पौराणिक कथा अनुसार, कुबेर के रसोइये हेममाली ने अपने कार्य से विमुख होकर भगवान शिव का अपमान किया और कोढ़ का शिकार हुआ। नारद मुनि के सुझाव पर उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया और अपने समस्त पापों से मुक्त होकर दिव्य रूप प्राप्त किया।
व्रत पूजन विधि:
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दशमी तिथि को केवल सात्विक भोजन लें और व्रत का संकल्प करें।
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एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर भगवान विष्णु का पीले फूल, तुलसी, दीप व पंचामृत से पूजन करें।
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दिनभर निर्जल या फलाहारी व्रत रखें।
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'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
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शाम को विष्णु सहस्रनाम या व्रत कथा का पाठ करें।
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द्वादशी तिथि पर अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान कर व्रत का पारण करें।
विशेष परंपराएं:
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पीपल वृक्ष की पूजा कर उसके नीचे दीपक जलाना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
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तुलसी माता की सेवा करना भी भगवान विष्णु को विशेष रूप से प्रसन्न करता है।
एकादशी तिथि व पारण समय:
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एकादशी प्रारंभ: 21 जून 2025, प्रातः 07:18 बजे
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एकादशी समाप्त: 22 जून 2025, प्रातः 04:27 बजे
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पारण समय: 22 जून, दोपहर 01:46 से शाम 04:34 बजे तक
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हरि वासर समाप्ति: प्रातः 09:41 बजे