भारत-पाक तनाव चरम पर: आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह पिछड़ा पाकिस्तान

पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। पाकिस्तानी प्रशासन को आशंका है कि भारत आने वाले कुछ घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है।

भारत-पाक तनाव चरम पर: आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह पिछड़ा पाकिस्तान
Published By: Satish Kashyap

नई दिल्ली/जनमत:पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। पाकिस्तानी प्रशासन को आशंका है कि भारत आने वाले कुछ घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है। ऐसे में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वह लंबे समय तक युद्ध का बोझ नहीं उठा सकता। देश की अर्थव्यवस्था बदहाली की कगार पर है — महंगाई चरम पर है, रुपये की कीमत गिरती जा रही है और सरकारी खजाना लगभग खाली हो चुका है। डिफॉल्ट से बचने के लिए पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का दरवाजा खटखटाया है। आज स्थिति यह है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगा रहा है।

कभी भारत से आगे था पाकिस्तान, अब आर्थिक रूप से कई साल पीछे

1947 में जब भारत और पाकिस्तान ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तब दोनों देशों की आर्थिक स्थिति लगभग समान थी। परंतु दशकों के भीतर भारत ने जो प्रगति की है, वह पाकिस्तान के लिए केवल एक सपना बनकर रह गई है। आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, वहीं पाकिस्तान डिफॉल्ट की कगार पर खड़ा है। भारत की GDP पाकिस्तान से लगभग 10 गुना अधिक है। भारत के पास 686.14 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जबकि पाकिस्तान के पास केवल 15.436 अरब डॉलर बचा है।

अलग रास्तों का नतीजा: भारत आगे, पाकिस्तान पीछे

स्वतंत्रता के बाद भारत ने गुट निरपेक्ष नीति अपनाई, जबकि पाकिस्तान ने शुरू से ही पश्चिमी शक्तियों, विशेषकर अमेरिका की तरफ झुकाव दिखाया। 1960 में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 83.33 डॉलर थी, जबकि भारत की 82.2 डॉलर। 1990 तक दोनों की प्रति व्यक्ति आय लगभग बराबर थी। उस समय कई सामाजिक-आर्थिक सूचकांकों पर पाकिस्तान की स्थिति भारत से बेहतर थी। लेकिन 2007 के बाद भारत की प्रति व्यक्ति आय लगातार पाकिस्तान से अधिक रही है। वर्ष 2024 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,698 डॉलर है, जबकि पाकिस्तान की केवल 1,588 डॉलर।

विदेशी मुद्रा भंडार और मुद्रा की स्थिति

1960 में भारत के पास 0.67 अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व था, जबकि पाकिस्तान के पास 0.32 अरब डॉलर। आज भारत का विदेशी भंडार पाकिस्तान से लगभग 45 गुना अधिक है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 84.54 के स्तर पर है, जबकि पाकिस्तान में एक डॉलर की कीमत 280.82 रुपये हो गई है। भारत अब कई देशों को आर्थिक सहायता देता है, वहीं पाकिस्तान दुनिया से राहत की अपील करता घूम रहा है।

विकास दर और वैश्विक रैंकिंग में भारत की मजबूती

आईएमएफ के अनुसार, भारत इस समय विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। 2010 में भारत 9वें स्थान पर था, और अब पांचवें पायदान पर है। 2008 से भारत की जीडीपी में 150% की वृद्धि हुई है, जबकि पाकिस्तान की जीडीपी सिर्फ 65% बढ़ी है। भारत की अर्थव्यवस्था 3.7 ट्रिलियन डॉलर के करीब है, वहीं पाकिस्तान की जीडीपी मात्र 374 अरब डॉलर है। दिलचस्प बात यह है कि भारत का टाटा ग्रुप अकेले ही पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था से ज्यादा मूल्य रखता है।

सेक्टरों में विविधता बनी भारत की ताकत

भारत ने शुरुआत कृषि प्रधान देश के रूप में की, लेकिन समय के साथ मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर ने भी तेजी पकड़ी। आज सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का लगभग 60% हिस्सा है और यह सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं के जरिए मैन्युफैक्चरिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

पाकिस्तान की गिरती साख और वैश्विक अविश्वास

पाकिस्तान में लगातार अस्थिर सरकारें, सैन्य शासन, सत्ता में टकराव और आतंकियों को समर्थन देने की नीतियों ने उसकी अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। विदेशी निवेशक वहां व्यापार करने से बचते हैं और स्थानीय उद्योग देश छोड़ रहे हैं। यहां तक कि अब पाकिस्तान के कई नेता भी भारत के विकास मॉडल की प्रशंसा कर रहे हैं।