उस्मान हादी की हत्या से बांग्लादेश में क्यों आया उबाल? UN भी बढ़ती हिंसा को लेकर चिंतित
बांग्लादेश में कट्टरपंथी नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद से वहां भारत विरोधी भावना उफान पर है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी उस्मान हादी को लेकर भारत पर आरोप लगा रहे हैं।
ढाका/जनमत न्यूज़। बांग्लादेश में कट्टरपंथी नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद से वहां भारत विरोधी भावना उफान पर है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी उस्मान हादी को लेकर भारत पर आरोप लगा रहे हैं। साथ ही उनका कहना है कि हादी की हत्या का आरोपी फैसल करीम भी भारत में छिपा हुआ है।
हालांकि बांग्लादेश की सरकार ही कह रही है कि फैसल करीम के भारत भागने के कोई सबूत नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उस्मान हादी की हत्या बांग्लादेश में इतना बड़ा मुद्दा क्यों बनी हुई है और इससे किसे फायदा है?
कट्टरपंथियों की साजिश की आशंका
बांग्लादेश की भू-राजनीति के जानकार और इस वक्त पेरिस में रह रहे नाहिद हेलाल ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में दावा किया है कि उस्मान हादी की हत्या से शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग या खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी को नहीं बल्कि जमात ए इस्लामी और बांग्लादेश की कट्टरपंथी जमात को फायदा हो सकता है।
नाहिद ने लिखा, 'उस्मान हादी की हत्या के बाद से जो हो रहा है, यही जमात ए इस्लामी के नेता और कट्टरपंथी वर्ग चाहता था। इससे कट्टरपंथियों को अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने, मीडिया संस्थानों को डराने और अवामी लीग के कार्यकर्ताओं की हत्या और सबसे अहम बात चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने का मौका मिल गया है।'
बीएनपी की पूर्व सांसद निलोफर चौधरी मोनी ने एक बांग्लादेशी न्यूज चैनल पर पैनल चर्चा के दौरान भी दावा किया कि उस्मान हादी की हत्या से जमात-ए-इस्लामी को फायदा होगा।
उन्होंने कहा, 'उस्मान हादी की हत्या के आरोपी फैसल करीम की दो बार जमानत सुप्रीम कोर्ट के वकील और जमात-ए-इस्लामी के नेता शिशिर मनीर ने कराई थी। दूसरी बार जमानत तो उस्मान हादी की हत्या से कुछ महीने पहले ही कराई गई थी।'
विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश में अस्थिरता, सांप्रदायिक तनाव, अराजकता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में गड़बड़ी से सबसे ज्यादा फायदा कट्टरपंथियों को होगा। ऐसे में आशंका है कि उस्मान हादी की हत्या के पीछे कट्टरपंथी हो सकते हैं, जो हादी की हत्या का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं।
जमात-ए-इस्लामी को चुनाव में मिल सकता है फायदा
उस्मान हादी की हत्या का राजनीतिक कोण एक ये भी है कि उस्मान हादी भारत विरोधी बयानबाजी के चलते कट्टरपंथियों के बीच चर्चित था। साथ ही वह ढाका-8 सीट से आगामी चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाला था।
ढाका-8 बांग्लादेश की अहम संसदीय सीट मानी जाती है, जिसके क्षेत्र में ही ढाका यूनिवर्सिटी और संसद भवन आते हैं। यहां से बीएनपी नेता मिर्जा अब्बास और जमात-ए-इस्लामी की पार्टी छात्र शिबिर के नेता मोहम्मद अबु सादिक भी उम्मीदवार हैं।
मिर्जा अब्बास एक बड़ा नाम है और जीत के दावेदार हैं। अब उस्मान हादी की हत्या के बाद जिस तरह से माहौल बना है, उससे जमात के नेता मोहम्मद अबु सादिक को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश की हिंसा पर जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश में हिंसा पर चिंता जताई है, जिसमें देश में एक हिंदू व्यक्ति की लिंचिंग की बर्बर घटना भी शामिल है। महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को डेली प्रेस ब्रीफिंग में कहा, 'हां, हम बांग्लादेश में हुई हिंसा को लेकर बहुत चिंतित हैं।'
दुजारिक ने कहा, 'चाहे वह बांग्लादेश हो या कोई और देश, जो लोग 'बहुसंख्यक' नहीं हैं, उन्हें सुरक्षित महसूस करने की ज़रूरत है, और सभी बांग्लादेशियों को सुरक्षित महसूस करने की ज़रूरत है। और हमें विश्वास है कि सरकार हर एक बांग्लादेशी को सुरक्षित रखने के लिए वह सब कुछ करेगी जो वह कर सकती है।'
बीते दिनों बांग्लादेश के मयमनसिंह के भालुका इलाके में 25 साल के गारमेंट फैक्ट्री कर्मचारी दीपू चंद्र दास को भीड़ ने कथित ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला और उसके शव को आग लगा दी। दास की लिंचिंग के सिलसिले में रविवार को दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया।
द डेली स्टार अखबार ने पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) सूत्रों के हवाले से बताया कि इन नई गिरफ्तारियों के साथ, इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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