गाजा के मुसलमानों से धोखा! इजरायल को मान्यता देगा पाकिस्तान? संपर्क कर रहे विकसित
यहूदियों के खिलाफ दशकों से नफरत उगलने वाला पाकिस्तान अब इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने लगा है।
इस्लामाबाद/लंदन/जनमत न्यूज़। यहूदियों के खिलाफ दशकों से नफरत उगलने वाला पाकिस्तान अब इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने लगा है। जिस तरह के जियो-पॉलिटिकल हालात बनते दिख रहे हैं, वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान अब्राहम अकॉर्ड पर दस्तखत करे और इजरायल को मान्यता देने वाला एक और इस्लामिक देश बन जाए।
इसीलिए सवाल ये हैं कि जिस गाजा को लेकर पिछले कई सालों से पाकिस्तान, घड़ियाली आंसू बहाते आया है, वो क्या डोनाल्ड ट्रंप के हाथों से मिलने वाले दो-चार डॉलर के लिए सूख गये हैं? दरअसल, इजरायल और पाकिस्तान हाल ही में कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से लगातार संपर्क विकसित करते दिखाई दे रहे हैं।
इसका ताजा उदाहरण लंदन में वर्ल्ड ट्रैवल मार्केट मेला है। जहां शहबाज शरीफ के पर्यटन सलाहकार सरदार यासिर इलियास खान और इजराइली पर्यटन महानिदेशक माइकल इजाकोव के बीच मुलाकात हुई है।
पाकिस्तानी अधिकारी अब तक किसी इजरायली अधिकारी से सार्वजनिक मुलाकात से बचते रहे हैं। इससे पहले मिस्र में भी पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के कुछ अधिकारियों से सीक्रेट मुलाकात की थी, जिसनें अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के अधिकारी भी शमिल थे।
इजरायल के करीब आ रहा पाकिस्तान
इससे पहले सितंबर महीने में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपनी न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान, अमेरिका में इजराइल के प्रभावशाली लॉबी समूह, अमेरिकन ज्यूइश कांग्रेस के अध्यक्ष डैनियल रोसेन से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन, पाकिस्तान पर अब इजरायल को मान्यता देने का प्रेशर बढ़ा रहा है।
इसके अलावा, गाजा में पुननिर्माण के लिए डोनाल्ड ट्रंप जो शांति योजना बना रहे हैं, पाकिस्तान उसका भी समर्थन करने वाला है, जिसमें गाजा से हमेशा के लिए हमास को खत्म करना शामिल है। लिहाजा, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस्लामाबाद, जल्द ही अब्राहम समझौते 2.0 में शामिल होने के लिए तेल अवीव के साथ गुप्त वार्ता कर सकता है।
नये रिश्ते पर भारत की नजर
भारत इन घटनाओं पर कड़ी नजर रख रहा है क्योंकि पाकिस्तान, भविष्य में डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर भी कह चुका है कि वो गाजा में हमास से हथियार छीनने के लिए अपनी सेना भेजने पर विचार कर रहा है।
इसीलिए, पाकिस्तान, अमेरिका की दक्षिण-मध्य एशिया योजना में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर रहा है, जिसमें बलूचिस्तान में प्रस्तावित बंदरगाह और खदानों में संभावित अमेरिकी सैनिकों के साथ ईरान को घेरने की योजना है।
ईरान को काउंटर करने के किसी भी कोशिश से इजरायल को फायदा होगा। पाकिस्तान ने ग्वादर से करीब 100 किलोमीटर दूर पसनी बंदरगाह भी अमेरिका को ऑफर किया है, जिसने ईरान को काफी परेशान कर दिया है। पसनी से ईरान पर अमेरिका काफी आसानी से हमला कर सकता है।
पसनी, बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर जिले में एक बंदरगाह शहर है, जिसकी सीमा अफगानिस्तान और ईरान से लगती है। पसनी के अलावा, अमेरिका प्रस्तावित खनन अधिकारों की रक्षा के लिए बलूचिस्तान में भी सैनिक तैनात कर सकता है। इसीलिए भारत लगातार इन घटनाओं पर नजर रखे हुआ है।
क्या बलूचिस्तान में सैनिक भेजेगा अमेरिका?
अमेरिका ने पहले ही बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है, ताकि पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत में अमेरिकी खनन कंपनियों की उपस्थिति को आसान बनाया जा सके, जहां कथित तौर पर दुर्लभ मृदा भंडार हैं।
आलोचकों का तर्क है कि अमेरिका, अफगानिस्तान की तरह बलूचिस्तान में भी जमीनी स्तर पर सैनिक तैनात कर सकता है, लेकिन इससे जमीनी स्तर पर स्थिति और खराब हो सकती है। राजनयिक ऑब्जर्वर्स का मानना है कि इससे बलूचिस्तान, युद्ध का नया मैदान बन सकता है, जिससे बलूचों का नरसंहार नये सिरे से शुरू हो जाएगा।

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