चीन ने अमेरिका को घेरने के लिए Rare Earth Elements को बनाया रणनीतिक हथियार

चीन ने अमेरिका को घेरने के लिए Rare Earth Elements को बनाया रणनीतिक हथियार
Published By: Satish Kashyap

देश/विदेश (जनमत):चीन और अमेरिका के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। अमेरिका ने हाल ही में चीन से आने वाले कुछ उत्पादों पर 245 प्रतिशत तक का भारी टैरिफ लगा दिया है, जिसके जवाब में अब चीन भी पलटवार की तैयारी में जुट गया है। यह टैरिफ युद्ध किस दिशा में जाएगा, फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन चीन ने एक ऐसा कदम उठाया है जो अमेरिका के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है — दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Elements) की आपूर्ति को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करना।

चीन के पास इन दुर्लभ खनिजों का प्राकृतिक भंडार है, जो आधुनिक तकनीक और रक्षा प्रणाली में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। टेरबियम, यिट्रियम, डिस्प्रोसियम, गैडोलिनियम, ल्यूटेटियम, सैमरियम और स्कैंडियम जैसे सात महत्वपूर्ण खनिज मुख्यतः चीन में ही पाए जाते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर इन खनिजों का करीब 85% चीन में मौजूद है, जिससे यह साफ है कि इन संसाधनों पर चीन का लगभग एकाधिकार है।

जहाँ अमेरिका एक वर्ष में केवल 1,130 टन नियोडिमियम-प्रेजोडिमियम का उत्पादन करता है, वहीं चीन का सालाना उत्पादन 58,300 टन से अधिक है। यह फासला दिखाता है कि रेयर अर्थ मेटल्स की वैश्विक सप्लाई चेन पर चीन का नियंत्रण पूरी तरह से कायम है

दुर्लभ खनिज 17 ऐसे तत्वों का समूह हैं, जो स्मार्टफोन, विंड टर्बाइन, मिसाइल सिस्टम, रडार, इलेक्ट्रिक व्हीकल और अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम जैसे उपकरणों के निर्माण में जरूरी होते हैं। ये खनिज जमीन में कम मात्रा में और बिखरे हुए पाए जाते हैं, जिससे इनका निष्कर्षण और परिशोधन काफी महंगा और जटिल होता है।

चीन ने 1990 के दशक में ही इन तत्वों के महत्व को पहचान लिया था और समय रहते इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया। इसके चलते आज वह पूरी दुनिया के मुकाबले एक रणनीतिक बढ़त हासिल कर चुका है। अमेरिका जैसे विकसित देश आज अपनी यिट्रियम यौगिकों की 93% सप्लाई के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर हैं।

इन खनिजों का महत्व सिर्फ रक्षा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ रहा है। एक मेगावाट क्षमता वाले पवन टर्बाइन में लगभग 600 किलोग्राम दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की जरूरत होती है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों और मोटर्स में भी इनका बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। आने वाले वर्षों में इनकी मांग में 300% से 600% तक की बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है।

चीन ने पर्यावरणीय प्रतिबंधों की परवाह किए बिना, इन खनिजों के दोहन में आक्रामक रणनीति अपनाई। वहीं, पश्चिमी देश पर्यावरण नियमों और लागत की जटिलताओं में उलझे रह गए। आज वही निर्णय चीन को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थिति में ले आया है।