विरासत गलियारे के निर्माण हेतु पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के हाता की तोड़ी जा रही दीवार, मुआवजे पर संशय बरकरार
विरासत गलियारे के निर्माण के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री और बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रसिद्ध हाता (आवास परिसर) की पुरानी दीवार को तोड़ा जा रहा है।

गोरखपुर/जनमत। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में विरासत गलियारे के निर्माण के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री और बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रसिद्ध हाता (आवास परिसर) की पुरानी दीवार को तोड़ा जा रहा है।
हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह कार्रवाई अवैध कब्जा हटाने के तहत की जा रही है या लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा इसका मुआवजा दिया जाएगा। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और हाता के लोग दोनों ही कुछ स्पष्ट बोलने से बच रहे हैं।
पं.हरिशंकर तिवारी का परिवार पूर्वांचल में अपनी राजनीतिक और सामाजिक पकड़ के लिए जाना जाता है। उनके निधन के बाद भी परिवार का राजनीतिक रसूख बरकरार है। हाल ही में उनके बेटे और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी को बैंक फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था, जबकि भीष्म शंकर तिवारी इस मामले से दूरी बनाए हुए हैं।
धर्मशाला बाजार से सुमेर सागर तक लोग स्वयं ही अपने अवैध निर्माणों को हटा रहे हैं। वहीं, हाता परिसर में पुरानी दीवार के पास तेजी से नई दीवार खड़ी की जा रही है। पुरानी दीवार से लगभग एक से तीन फीट की दूरी पर नई दीवार बनाई गई है। करीब तीन-चार दिनों में नई दीवार बनकर तैयार हो जाएगी, जिसके बाद पुरानी दीवार पूरी तरह से हटा दी जाएगी।
विरासत गलियारा निर्माण के लिए आर्यनगर में स्थित 1940 में बने अग्रवाल भवन की बिल्डिंग का करीब 7-8 फीट हिस्सा भी तोड़ा जा रहा है। इस भवन का निर्माण स्थानीय सहयोग और दान से हुआ था। व्यापारियों में इसे लेकर भी संशय है। आर्य नगर चौराहे पर सब्जी मंडी की जर्जर इमारत का दो मीटर हिस्सा हटाया जाना है, लेकिन यहां भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
पीडब्ल्यूडी विरासत गलियारे के लिए 850 से अधिक संपत्तियों की रजिस्ट्री करवाने की योजना बना चुका था, लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद यह प्रक्रिया धीमी हो गई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना अधिग्रहण के जमीन पर कब्जा नहीं लिया जा सकता। अभी तक सिर्फ करीब 375 संपत्तियों की ही रजिस्ट्री हो पाई है। व्यापार मंडल अध्यक्ष नितिन जायसवाल ने कहा है कि व्यापारी गलियारे के विरोध में नहीं हैं, लेकिन वे उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।