Workplace Horror Stories: जब बीमारी में भी बॉस को चाहिए था "फुल अटेंडेंस"

क्या आपकी सेहत से ज्यादा जरूरी है आपकी नौकरी? सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कुछ कहानियां इस सवाल का जवाब "हां" देती हैं—कम से कम कुछ टॉक्सिक बॉसेज़ के लिए।...

Workplace Horror Stories: जब बीमारी में भी बॉस को चाहिए था "फुल अटेंडेंस"
Published By: Satish Kashyap

Business News:सोशल मीडिया पर "वर्कप्लेस हॉरर स्टोरीज़" के नाम से वायरल हो रही कहानियों में कई कर्मचारियों ने अपने अनुभव साझा किए हैं, जहां उनकी बीमारी या गंभीर हालत को भी ऑफिस के शेड्यूल से कम अहमियत दी गई।

एक कर्मचारी ने मिंट से साझा किया कि वह एक सड़क हादसे में घायल हुआ और डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी, लेकिन जब उसने छुट्टी की दरख्वास्त भेजी तो बॉस ने कहा, "अरे यार, पर मुझे तो तुम फ्राइडे शिफ्ट के लिए चाहिए।" इसके बाद बॉस ने 'सॉल्यूशन' देते हुए कहा, "बैठने के लिए मैं कुर्सी का इंतजाम कर देता हूं।" जब कर्मचारी ने याद दिलाया कि उसे जॉइन किए अभी केवल दो हफ्ते ही हुए हैं, तो बॉस ने उल्टे उसे ही दोषी ठहराया। नतीजतन कर्मचारी ने तुरंत नौकरी छोड़ने का निर्णय ले लिया।

एक इंस्टाग्राम यूज़र ने बताया कि जब वह एक पब्लिकेशन हाउस में काम कर रही थी, तब बीमार पड़ने पर भी उसे छुट्टी नहीं दी गई। बॉस ने कानूनी हक होते हुए भी सिक लीव को मंजूरी नहीं दी। मीटिंग में खांसने पर डांट मिली: “चुपचाप खांसो, मेरी बात टूट रही है।”

दूसरे यूजर ने कहा कि जब उसके पैर में खिंचाव आ गया और खड़ा रहना मुश्किल था, तब मैनेजर ने कहा, "एक पैर पर खड़े नहीं हो सकते क्या?"

तीसरे यूजर की कहानी तो और भी चौंकाने वाली है। उसकी गर्दन में ट्यूमर था और उसे कैंसर निकला। छुट्टी मांगने पर इनकार हुआ और जैसे ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ, HR का पहला सवाल था, "अब ऑफिस कब आ रहे हो?" जवाब में कर्मचारी ने लिखा, "पहले ठीक तो हो लूं, फिर सोचूंगा।"

एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, “मैं तो नौकरी छोड़ने से बेहतर फायर होना मानता हूं, ताकि कानूनी कार्रवाई कर सकूं।”

इन सभी अनुभवों में एक बात कॉमन थी—कर्मचारियों की सेहत और इंसानियत को नजरअंदाज कर देना। "प्रॉफिट ओवर पीपल" वाली सोच आज के कई कार्यस्थलों की सच्चाई बन चुकी है।