कानपुर प्रशासनिक संग्राम: DM के सामने नहीं टिके CMO, योगी सरकार ने किया सस्पेंड"
कानपुर में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच उभरे टकराव में आखिरकार डीएम जितेंद्र सिंह की रिपोर्ट ने बाजी मार ली। यूपी सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त नेमी को पद से हटा दिया है।

कानपुर/ जनमत न्यूज़:- कानपुर में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच उभरे टकराव में आखिरकार डीएम जितेंद्र सिंह की रिपोर्ट ने बाजी मार ली। यूपी सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त नेमी को पद से हटा दिया है। शासन की ओर से जारी आदेश में डॉ. नेमी को चिकित्सा निदेशालय से संबद्ध कर दिया गया है। उनकी जगह अब श्रावस्ती के डॉ. उदय नाथ को नया सीएमओ नियुक्त किया गया है।
शासन सचिव रितु माहेश्वरी की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि डॉ. नेमी ने नियुक्तियों से जुड़े कई मामलों में लापरवाही बरती, जो उनकी जिम्मेदारी के प्रतिकूल है।
राजनीतिक दबाव भी नहीं आया काम
सीएमओ डॉ. नेमी के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, भाजपा एमएलसी अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी तक उतर आए थे। उन्होंने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर सीएमओ के पक्ष में हस्तक्षेप की मांग की थी। बावजूद इसके, यह राजनीतिक पैरवी असर नहीं दिखा सकी।
डीएम को मिला विधायकों का साथ
उधर, भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा और महेश त्रिवेदी ने डीएम विजय विश्वास पंत के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा था, जिसमें सीएमओ की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए थे।
विवाद की जड़ में 'फर्म विवाद'
बताया जा रहा है कि विवाद की शुरुआत एक निजी फर्म को लेकर हुई थी। सीएमओ ने उस फर्म को सोशल मीडिया पर विवादित ठहराया था, जबकि डीएम द्वारा उसी फर्म को क्लीन चिट दी गई थी। यही मुद्दा दोनों अधिकारियों के बीच विवाद की मुख्य वजह बन गया।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि योगी सरकार अब लापरवाही और टकराव को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चल रही है, चाहे पैरवी कितनी ही ऊंचे स्तर से क्यों न हो। कानपुर में प्रशासनिक शक्ति संतुलन की यह लड़ाई अंततः डीएम के पक्ष में खत्म हुई।