शहर में करवा चौथ की धूम जाने करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और चांद निकलने का समय !

आज देशभर में सुहागनों ने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा है. इस दिन व्रत-उपासना से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-संपन्नता बनी रहती है. यह व्रत निर्जला रखा जाता है और रात को चांद देखने के बाद ही सुहागनें पति के हाथ से जल ग्रहण कर उपवास खोलती हैं

शहर में करवा चौथ की धूम जाने करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और चांद निकलने का समय !
publishesd by- JYOTI KANOJIYA

लखनऊ से जनमत न्यूज़ :-  आज देशभर में सुहागनों ने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा है. इस दिन व्रत-उपासना से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-संपन्नता बनी रहती है. यह व्रत निर्जला रखा जाता है और रात को चांद देखने के बाद ही सुहागनें पति के हाथ से जल ग्रहण कर उपवास खोलती हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि करवा चौथ के व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी और भगवान शिव ने पार्वती को को बताया था. हर साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ मनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. आइए जानते हैं कि करवा चौथ पर आज पूजा का शुभ मुहूर्त और चांद निकलने का समय क्या है.

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी रात 10 बजकर 54 मिनट से लेकर 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट तक रहने वाली है. ऐसे में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है.

करवा चौथ पर शाम की पूजा का मुहूर्त
करवा चौथ पर शाम को प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस अबूझ घड़ी में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और चौथ माता की पूजा होती है. इस बार संध्याकाल में चौथ माता की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 56 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.

करवा चौथ पर कितने बजे दिखेगा चांद ?
करवा चौथ पर सुहागनें रात को चांद देखने के बाद ही पति के हाथ से जल ग्रहण करती हैं और व्रत खोलती हैं. इसलिए दिनभर भूखी-प्यासी रहने वाली स्त्रियों को बेसब्री से चांद निकलने का इंतजार रहता है. इस साल करवा चौथ पर चांद निकलने का समय रात 8 बजकर 14 मिनट बताया जा रहा है. हालांकि देश के विभिन्न शहरों में चांद निकलने का समय थोड़ा अलग हो सकता है.


आपको बता दे की पूजा का समय: शाम 05:57 मिनट से 07:11 मिनट तक और चंद्रोदय (चांद निकलने का समय): रात लगभग 08:17 बजे !

करवा चौथ की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके सात पुत्र और एक पुत्री थी. पुत्री का नाम करवा बताया जाता है. सभी भाइयों को अपनी इकलौती बहन से बहुत स्नेह था. जब करवा की शादी हुई तो उसने अपने पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा.  करवा ने यह व्रत अपने मायके में भाभियों के साथ मिलकर रखा था. लेकिन चांद निर्जला व्रत के कारण करवा की तबियत बिगड़ने लगी और चांद भी काफी देर तक नहीं निकला. करवा की ऐसी हालत देख भाइयों से रहा नहीं गया. तभी उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई.