लोक गायिका मैथली ठाकुर की राह मुश्किल अलीनगर में बिगड़े सियासत के सुर !
मशहूर लोक गायिका मैथली ठाकुर जिनका इंस्टाग्राम पर 6.3 मिलियन से ज़्यादा फॉलोअर्स और युटुब पर 5.13 मिलियन से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स है जिनकी मधुर आवाज़ ने देशभर के लोगो ने दिलो में जगह बनाई और अब इनके इस मधुर सफर में राजनीती मोड़ ले लिया है

मशहूर लोक गायिका मैथली ठाकुर जिनका इंस्टाग्राम पर 6.3 मिलियन से ज़्यादा फॉलोअर्स और युटुब पर 5.13 मिलियन से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स है जिनकी मधुर आवाज़ ने देशभर के लोगो ने दिलो में जगह बनाई और अब इनके इस मधुर सफर में राजनीती मोड़ ले लिया है जी हां अब राजनीती के सुरो में अपनी तान छेड़ने जा रही है डबल इंजन की बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर बड़ा दाव चल दिया है लेकिन जो सीट बेन्नी पट्टी बताई जा रही थी जिसे मैथली का गड खा जाता है अब वो बदलकर अलीनगर हो गई और यही से शुरू होता है सियासी तूफान क्योंकि अलीनगर में मैथली की राह आसान नहीं मानी जा रही है
दोस्तों आपको बता दे की बीजेपी को ऐसे चैहरो की तलाश रहती है जो में सीधे लोकप्रिय हो और मैथली ठाकुर न सिर्फ बिहार बल्कि पुरे देश में अपनी गायकी से पहचान बना चुकी है सोशल मिडिया पर करोड़ो फॉलोवर्स मंच पर लाखो की भीड़ यही बीजेपी का भरोसा था की उनकी लोकप्रियता वोट में बदलेगी लेकिन सियासत सिर्फ लोकप्रियता से नहीं जमीनी समीकरणों से भी तय होती है और अलीनगर का गणित बीजेपी के लिए उतना आसान नहीं
शुरुआत में खबरे थी की मैथली को बेनीपट्टी विधानसभा सीट से टिकट मिल सकता जो उनका गृह इलाका है जहा उनका परिवार और समर्थक मजबूत पकड़ रखते है लेकिन बीजेपी बेनीपट्टी से अपने उम्मीदवार का पहले ही ऐलान कर चुकी थी.और उन्हें अलीनगर से मैदान में उतार दिया अब पार्टी सूत्र का कहना है की अलीनगर में युवा वोटर और महिलाओ में मैथली ठाकुर की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें यह लाया गया है मगर स्थानीय समीकरण कुछ और ही कहते है की यहां जातीय संतुलन और पुराने नेताओ की पकड़ इतनी मजबूत है की नए चेहरे के लिए रास्ता बेहद मुश्किल है
सिर्फ लोकप्रियता ही मायने नहीं रखती है कहते है और आपको बता दे की जितनी मधुर मैथली ठाकुर की आवाज़ उतना कोमल और सुन्दर दिल नहीं जी हां आपको बता दे की गांव के लोगो का कहना है की' एक प्रोग्राम का 5 लाख रुपये मैथिली ठाकुर ने मांगा था, हम 2 लाख रुपये दे रहे थे तो वे नहीं आईं. यह वो दावा है जो मैथिली ठाकुर की इमेज को हाल के दिनों में डेंट पहुंचा रहा है. बताया जा रहा है कि छठ के मौके पर मैथिली को गांव वालों ने बुलाया था. लेकिन उन्होंने पैसों पर बात ना बनने पर वहां जाने से इनकार कर दिया था.अब आप खुद सोच सकते है जिसके पास कोकिला जैसे आवाज़ हो और वो अपने इस हुनर को पैसे से तौलती हो तो जब वो राजनीती में आएँगी तब को क्या क्या करेंगी आप खुद सोचिये जो 20 साल से अपने गांव में दस्तक नहीं दी और पार्टी का टिकट मिलते ही उन्हें अचानक गांव की याद आ गई बता दे की मैथिली बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा में हैं. क्योंकि जब से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं से मुलाकात की है और फ्यूचर में विधानसभा चुनाव लड़ विधायक बनने के इशारे दिए हैं, उनके पास्ट के बारे में निकाला और खंगाला जा रहा है.जो लोग मैथिली पर आरोप लगा रहे हैं, वही लोग कहते हैं कि अगर मैथिली इस इलाके से चुनाव लड़ती हैं, उनको ही वोट करेंगे. लेकिन लोगों का कहना है कि ये वोट उनको नहीं, BJP को होगा.
बहरहाल आपको बता दे की अलीनगर सीट मिथियांचल की सियासत का अहम् केंद्र है यहां यादव,मुस्लिम और दलित मतदाता मिलकर बड़ा वोट बैंक बनाते है पिछले चुनाव में यह सीट महागठबंधन के खाते में गई थी और उनके कार्यकर्त्ता अब भी सक्रिय है बीजेपी के पुराने स्थानीय नेता भी इस फैसले से कही न कही खुश नज़र नहीं आरहे है और कुछ तो अंदर ही अंदर नाराज़ बताये जा रहे है क्योंकि बाहर से आये चेहरे को टिकट दे दिया गया है
मैथली ठाकुर सम्मानित महिला है लेकिन राजनीती सिर्फ आवाज़ से नहीं आवाज़ उठाने की झमता से ही जीती जाती है' एक वर्ग का कहना की हम मैथली दीदी के साथ है उन्होंने हमारी संस्कृति को बचाया है वही दूसरे वर्ग का कहना है की वो कलाकार है नेता नहीं उन्हें राजनीती में वक्त लगेगा
मैथली ठाकुर के सामने चुनौती सिर्फ विरोधियो से नहीं बल्कि अपनी लोकप्रियता को वोट में बदलने की भी है वो जरूर सोशल मिडिया पर स्टार है लेकिन क्या वो बूथ लेवल पर वोट जुटाने वाली नेता बन पायँगी या नहीं ये एक बड़ा सवाल अलीनगर की धरती पर अब मुकाबला दिलचस्प हो गया अब देखना ये होगा की क्या आवाज़ की देवी मैथली ठाकुर राजनीती के रण में भी जीत का सुर छेड़ पायेंगी या फिर अलीनगर की जमीन उनकी ताल को थाम लेंगी ?