ओबीसी आरक्षण पर SC की सख्त टिप्पणी: 'आरक्षण रेलगाड़ी की बोगी बन गया है
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण से जुड़े विवाद की सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ मौजूद रही।

नई दिल्ली (जनमत):मंगलवार, 6 मई को सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण से जुड़े विवाद की सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ मौजूद रही। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में आरक्षण अब ट्रेन की उस बोगी जैसा हो गया है, जिसमें जो भी एक बार चढ़ जाता है, वह किसी और को उसमें चढ़ने नहीं देना चाहता।
यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब जस्टिस सूर्यकांत जल्द ही भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। इससे पहले 14 मई को जस्टिस बीआर गवई 52वें CJI की शपथ लेंगे।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि महाराष्ट्र में बंठिया आयोग ने ओबीसी को आरक्षण दे दिया, जबकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वे राजनीतिक रूप से पिछड़े हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन अलग है, और केवल इन्हीं आधारों पर राजनीतिक पिछड़ापन नहीं माना जा सकता।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब समावेश की बात आती है, तो राज्य की जिम्मेदारी है कि वह और वर्गों की पहचान करे जो सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। उन्हें आरक्षण से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने आगे कहा कि अब ओबीसी आरक्षण के कारण स्थानीय निकाय चुनावों में देरी नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह चार महीने के भीतर चुनाव की प्रक्रिया पूरी करे। साथ ही आयोग को जरूरत पड़ने पर और समय मांगने की छूट भी दी गई है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनावों के नतीजे कोर्ट में लंबित याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे।