वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कुछ धाराओं पर लगी रोक !
कुछ महीने पहले संसद के बजट सत्र में जब वक्फ बोर्ड (संशोधन) अधिनियम 2025 पेश हुआ, तो देश के कई हिस्सों में इसका विरोध किया गया। वही अब सुप्रीम कोर्ट ने ........

लखनऊ से जनमत न्यूज़ :- कुछ महीने पहले संसद के बजट सत्र में जब वक्फ बोर्ड (संशोधन) अधिनियम 2025 पेश हुआ, तो देश के कई हिस्सों में इसका विरोध किया गया। दोनों सदनों में बहुमत से पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे दी।वही अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इनमें से कुछ प्रावधान शक्ति के 'मनमाने' प्रयोग को बढ़ावा देंगे। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता, लेकिन 'कुछ धाराओं को संरक्षण की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब तक शीर्षक (title) तय नहीं होता, वक्फ से संपत्ति का कब्ज़ा नहीं छीना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा 23 को भी स्थगित किया जिसमें कहा गया था कि पदेन (Ex-officio) अधिकारी मुस्लिम समुदाय से होना अनिवार्य है।इस तरह शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून, 2025 की धारा 3(r), धारा 2(सी), धारा 3 (सी) और धारा 23 को स्थगित किया है।
पहले वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 में प्रावधान था कि पांच साल से ज्यादा समय तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाले ही वक्फ बोर्ड के सदस्य बन सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगा दी।
अब - कोर्ट के अनुसार, जब तक राज्य सरकारें इस संदर्भ में कोई उचित नियम नहीं बना लेती, तब तक वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए यह शर्त लागू नहीं होगी।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 में प्रावधान किया गया था कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में गैर-मुस्लिम सदस्य भी शामिल होंगे।
इसपर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते हैं। वहीं, केंद्रीय वक्फ परिषद में भी 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं होंगे। इसके साथ कोर्ट ने कहा है कि अगर मुमकिन हो तो किसी मुस्लिम सदस्य को ही बोर्ड का सीईओ बनाया जाना चाहिए।