सफ़ेद हाथी बन गई है उप्र सरकार की आईजीआरएस प्रणाली, शिकायतों के निस्तारण में हुई फेल
IGRS एक एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नागरिकों द्वारा दर्ज की जाने वाली सभी प्रकार की शिकायतों के लिए लागू किया गया है।
लखनऊ/जनमत। IGRS (Integrated Grievance Redressal System) एक एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नागरिकों द्वारा दर्ज की जाने वाली सभी प्रकार की शिकायतों के लिए लागू किया गया है। आम बोलचाल की भाषा में इसे जनसुनवाई पोर्टल भी कहा जाता है। इस पोर्टल पर सरकार के सभी विभागों में होने वाली समस्याओं की शिकायत करने की व्यवस्था बनाई गई है।
मुख्यमंत्री की निगरानी में चलने वाला यह सिस्टम जन आकांक्षाओं पर बिलकुल ही खरा नहीं उतर रहा है। शिकायतों का अंबार लगा रहता है लेकिन देखने सुनने व निस्तारण करने की फुर्सत किसी की पास भी नहीं है. लाखों शिकायतें अभी भी पेंडिंग पड़ी हुई हैं। इस IGRS सिस्टम का मोबाइल एप भी लांच किया गया लेकिन उससे भी समस्या जस की तस बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश की आईजीआरएस प्रणाली के शिकायतों के निस्तारण में विफल होने की लगातार खबरें आती रही हैं। गलत और मनमानी रिपोर्ट, फीडबैक में संतुष्टि की कमी और समय पर कार्रवाई न होने जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस पर चिंता व्यक्त की थी, खासकर तब जब कुछ विभागों और अधिकारियों की ओर से शिकायतों के निस्तारण में लगातार लापरवाही बरती गई थी।
कुछ मामलों में अधिकारी फर्जी रिपोर्ट तैयार करके या गलत जानकारी अपलोड करके शिकायतों का समाधान कर रहे हैं, जिससे यह प्रणाली अपने उद्देश्य से भटक गई है। कई बार शिकायतकर्ताओं को लगता है कि उनकी शिकायतों का समाधान संतोषजनक नहीं हुआ है और फीडबैक प्रणाली भी पूरी तरह प्रभावी नहीं है।
पुलिस विभाग जैसी जगहों पर, शिकायतों के निस्तारण और मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी विभिन्न अधिकारियों पर है, लेकिन यह प्रणाली भी अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाती है।
शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही के कुछ मामले
कानपुर जनपद के राजस्व विभाग के अफसर आईजीआरएस जनसुनवाई पोर्टल में आने वाली शिकायतों के निस्तारण में मनमानी कर रहे हैं। अभी सितम्बर माह में सीएम कार्यालय से पांच माह में निस्तारित मामलों की फीड बैक लिया गया तो अफसरों की पोल खुल गई।
राजस्व विभाग की 5006 शिकायतों में 4440 निस्तारित की गईं, जिसमें से भी 1401 शिकायतकर्ता नाखुश हैं। डीएम ने रिव्यु कर सभी एसडीएम को गुणवत्तापूर्वक जांच कर शिकायत निस्तारण करने का आदेश दिया है।
प्रयागराज में अक्टूबर माह में IGRS पोर्टल पर नकारात्मक फीडबैक के कारण व मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पर खराब प्रदर्शन के लिए 11 विभागों के अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। यहां पोर्टल पर शिकायतों के समाधान की स्थिति को लेकर लोगों ने असंतोष जताया था।
प्रयागराज के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री डैशबोर्ड व विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान लापरवाही के मामलों में बड़ी कार्रवाई की। फैमिली आईडी के कार्य में लापरवाही बरतने पर उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारियों (BDO) का वेतन रोके जाने के निर्देश दिए। डीएम ने मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पर C व D रैकिंग वाले 11 विभागों के संबंधित अधिकारियों का भी वेतन रोके जाने के निर्देश दिए।
इसके अलावा आईजीआरएस पोर्टल पर 50 फीसदी से अधिक निगेटिव फीडबैक वाले विभागों के संबंधित अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी किया। मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अपूर्ण आवासों की प्रगति असंतोषजनक पाए जाने पर नाराजगी जताई और अपेक्षित सुधार लाए जाने के दिए निर्देश दिए।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शिकायतों के निस्तारण की उक्त व्यवस्था पर स्वयं मुख्यमंत्री ही असंतोष व्यक्त कर चुके हैं तो सरकार किस बात की सफलता का ढिंढोरा पीटटी है?

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