औरैया: 30 लाख के गबन का था आरोप, तीन साल की जांच में निकला एक रुपये का घोटाला

उप्र के औरैया जनपद की बिधूना तहसील की ग्राम पंचायत खानजहांपुर चिरकुआ इस समय चर्चा में है। यहां 30 लाख रुपए के गबन का मामला था।

औरैया: 30 लाख के गबन का था आरोप, तीन साल की जांच में निकला एक रुपये का घोटाला
Published By- Diwaker Mishra

औरैया से अरुण वाजपेयी की रिपोर्ट

औरैया/जनमत न्यूज़। उप्र के औरैया जनपद की बिधूना तहसील की ग्राम पंचायत खानजहांपुर चिरकुआ इस समय चर्चा में है। यहां 30 लाख रुपए के गबन का मामला था। गबन की यह शिकायत भी किसी ग्रामीण ने नहीं बल्कि ग्राम पंचायत सदस्य कुलदीप शर्मा ने की थी।

इस शिकायत पर तीन साल जांच चली और घोटाला महज 1 रुपए का ही घोटाला निकला। जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति और सरकारी कार्यप्रणाली, दोनों पर सवालिया निशान खड़े करती है। 30 लाख रुपए के गबन की जांच का नतीजा सुनकर हर कोई अपनी हंसी नहीं रोक पा रहा है।

बिधूना तहसील की एक ग्राम पंचायत में तीन साल तक चली भजांच की नूरा-कुश्ती का अंत महज एक रुपए की हेराफेरी के साथ भले हो गया हो, लेकिन शिकायतकर्ता ग्राम पंचायत सदस्य कुलदीप शर्मा इस पूरी जांच पर सवालिया निशान खड़े कर रहे है। उनका कहना है कि जांच अधिकारी ने मिलीभगत करते हुए दोषियों को बचाने का काम किया है। शिकायतकर्ता अब पूरे मामले को मुख्यमंत्री के सामने ले जाने की बात कह रहा है।

कहानी की शुरुआत दिसंबर 2022 में होती है। औरैया जिले के बिधूना तहसील की खानजहांपुर चिरकुआ ग्राम पंचायत के सदस्य कुलदीप शर्मा ने तत्कालीन जिलाधिकारी के पास एक शिकायत दर्ज कराई। जिसमें ग्राम पंचायत में हैंडपंप मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, इंटरलॉकिंग सड़क और स्कूल के कायाकल्प जैसे कार्यों में 25 से 30 लाख रुपए के गबन का आरोप लगाया।

27 दिसम्बर 2022 को डीएम ने कार्यकारी अधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण व अवर अभियंता आरईडी को जांच सौंपी, लेकिन अभिलेख न मिल पाने के कारण ये दोनों अधिकारी जांच ही नहीं कर सके।

कई महीनों तक जांच शुरू न होने पर शिकायत कार्ता ने दुबारा शिकायत की, तो तत्कालीन डीएम नेहा प्रकाश ने जिला कृषि अधिकारी और अवर अभियंता आरईडी को जांच सौंप दी। दोनों अधिकारियों ने ग्राम प्रधान शकुंतला देवी को नोटिस जारी किया।

नोटिस मिलने पर ग्राम प्रधान शकुंतला देवी ने अपने उत्तर में बताया कि उनके यहां सभी कार्य सही हुए हैं और कोई भी गबन नहीं हुआ है। महज नोटिस और प्रधान के उत्तर से ही यह पूरी जांच समाप्त हो गयी। शिकायतकर्ता ने मिली भगत का आरोप लगाकर पुनः जांच कराए जाने की मांग की।

तब 16 मार्च 2024 को डीसी एनआरएलएम और अवर अभियंता आरईडी को जांच सौंपी गयी। महत्वपूर्ण बात यह रहीं कि इन तीनों जांचों में महज एक जांच अधिकारी बदलता था जबकि अवर अभियंता आरईडी जांच अधिकारी के रूप में तीनों जांचों में बने रहे। जिसका निष्कर्ष ये रहा कि तीसरी बार भी जांच यह कहकर समाप्त कर दी गयी कि शिकायत फर्जी है।

शिकायतकर्ता ने यहां पर भी हार नहीं मानी और फिर से जांच की मांग कर दी। जिस पर 12 सितम्बर 2024 को डीएम इंद्रमणि त्रिपाठी ने पीडी डीआरडीए व अधिशासी अभियंता जल निगम को जांच सौंप दी।

इस जांच में दोनों अधिकारियों ने गबन की पुष्टि की। इस जांच में बताया कि अधिक्तर कार्यों के बिल वाउचर और अभिलेखों की छाया प्रतियां उपलब्ध कराई गयीं। मूल अभिलेख व मूल वाउचर जांच के समय उपलब्ध नहीं कराए गये।