सीएमओ कार्यालय पर रिश्वतखोरी के आरोप: जांच अधिकारी बदले जाने से उठे सवाल
रायबरेली (जनमत) :- सेवानिवृत्त वाहन चालक के देयकों के भुगतान में देरी और रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर सीएमओ कार्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है। अब इस मामले की जांच प्रक्रिया खुद सवालों के घेरे में आ गई है।
करीब दो सप्ताह पहले मुख्य विकास अधिकारी ने इस प्रकरण की जांच के लिए एक समिति गठित की थी, लेकिन समय बीतने के बावजूद समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे सकी। अब विभाग ने अचानक जांच अधिकारी बदल दिया है। नए आदेश के अनुसार, जांच की जिम्मेदारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्री कृष्णा को सौंपी गई है। उन्हें दोनों पक्षों को सुनकर निष्पक्ष रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।जानकारी के अनुसार, टीबी विभाग में कार्यरत वाहन चालक अशोक कुमार जुलाई 2025 में सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के साढ़े तीन माह बीत जाने के बावजूद उन्हें विभागीय भुगतान नहीं मिला। इस पर नाराज होकर उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज करते हुए कुछ कर्मचारियों पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए थे।
उन्होंने जिलाधिकारी, सदर विधायक और शासन को भी शिकायती पत्र भेजे। सूत्रों के अनुसार, सदर विधायक ने भुगतान में लापरवाही पर संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाई थी। शासन स्तर से भी निस्तारण के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में भुगतान फाइल शासन को भेजी गई।पहले इस मामले की जांच एसीएमओ डॉ. अरविंद कुमार को सौंपी गई थी। अचानक जांच अधिकारी बदले जाने को लेकर विभाग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, डॉ. अरविंद की छवि निष्पक्ष और निर्विवाद मानी जाती है, और माना जा रहा है कि उनकी जांच से विभागीय भ्रष्टाचार की परतें खुल सकती थीं। इसी कारण जांच अधिकारी बदले जाने को मामले को “दबाने की कोशिश” के रूप में देखा जा रहा है।
पीड़ित अशोक कुमार का आरोप है कि उन पर लगातार शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। उनका कहना है, रिटायरमेंट के बाद विभाग मेरे कार्यकाल की अनावश्यक जांच-पड़ताल कर मुझे मानसिक रूप से परेशान कर रहा है। उन्होंने बताया कि यदि शीघ्र भुगतान नहीं हुआ और न्याय नहीं मिला, तो वे कलेक्ट्रेट परिसर में आमरण अनशन पर बैठेंगे। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी को सूचना भी दे दी है।

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