डीएफसीसीआईएल : ट्रैवर्स तकनीक के माध्यम से स्थापित हुआ "डाउन कनेक्टिंग लाइन"...

डीएफसीसीआईएल : ट्रैवर्स तकनीक के माध्यम से स्थापित हुआ "डाउन कनेक्टिंग लाइन"...
REPORTED BY: AMBUJ, PUBLISHED BY : ANKUSH PAL

कुन्दन सिंह । डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) ने अपने पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के निर्माण में एक और महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय रेलवे के खारबाव स्टेशन पर डीएफसी डाउन कनेक्टिंग लाइन पर ओपन वेब गर्डर (OWG) को ट्रैवर्स तकनीक के माध्यम से सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। यह कार्य सेंट्रल रेलवे के खारबाव और कामन स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन के ऊपर संपन्न हुआ। यह खंड देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) को डीएफसी नेटवर्क से जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।

85 मीटर लंबा और लगभग 700 मीट्रिक टन वजनी यह ओपन वेब गर्डर आधुनिक सिविल इंजीनियरिंग, संरचनात्मक डिजाइन और निर्माण तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। ट्रैवर्स विधि से इस भारी संरचना को रेलवे ट्रैक के ऊपर स्थापित करना एक अत्यंत जटिल और जोखिमपूर्ण तकनीकी प्रक्रिया थी, जिसे डीएफसीसीआईएल की इंजीनियरिंग टीम ने अत्यधिक सटीकता और सतर्कता के साथ पूरा किया। इस विधि में गर्डर को चरणबद्ध क्षैतिज विस्थापन (incremental launching) के माध्यम से उसकी निर्धारित स्थिति में स्थापित किया जाता है, जिससे ट्रेन परिचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

यह तकनीकी उपलब्धि न केवल इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह डीएफसीसीआईएल के पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के जेएनपीटी से वैतरना सेक्शन के पूरा होने की दिशा में एक अहम योगदान भी है। यह खंड देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) को डीएफसी नेटवर्क से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

डीएफसीसीआईएल की ओर से विकसित यह कनेक्टिविटी भारतीय रेलवे नेटवर्क की फ्रेट हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाते हुए देश के माल परिवहन तंत्र को नई गति प्रदान करेगी। इस जुड़ाव से न केवल मालगाड़ियों की आवाजाही और सुगम होगी, बल्कि बंदरगाहों से औद्योगिक क्षेत्रों तक सप्लाई चेन की दक्षता में भी उल्लेखनीय सुधार होगा। इससे परिवहन समय और लागत दोनों में कमी आएगी, जिससे भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के स्तर तक पहुँच सकेगा।

डीएफसीसीआईएल की यह सफलता प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य देश में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना है। ओपन वेब गर्डर की यह सफल तकनीकी स्थापना इस बात का प्रमाण है कि भारत अब उच्च जटिलता वाली इंजीनियरिंग परियोजनाओं को अपने दम पर, निर्धारित समयसीमा और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के साथ पूरा करने की क्षमता रखता है।

पश्चिमी डीएफसी के पूरा होने से न केवल बंदरगाहों तक पहुँचने का समय घटेगा, बल्कि सड़कों पर भारी मालवाहक ट्रकों की संख्या में भी कमी आएगी। इससे ईंधन की खपत में कमी, कार्बन उत्सर्जन में कमी और पर्यावरणीय लाभ सुनिश्चित होंगे।