भारतीय हमले में मसूद अजहर का पूरा परिवार ढेर, बोला – मर जाना बेहतर होता

पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख अड्डे मरकज सुब्हान अल्लाह पर भारतीय सेना द्वारा किए गए स्ट्राइक में मसूद अजहर की पत्नी, बेटा और बड़ी बहन सहित उसके पूरे परिवार के 10 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है।

भारतीय हमले में मसूद अजहर का पूरा परिवार ढेर, बोला – मर जाना बेहतर होता
Published By: Satish Kashyap

Operation Sindoor: पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख अड्डे मरकज सुब्हान अल्लाह पर भारतीय सेना द्वारा किए गए स्ट्राइक में मसूद अजहर की पत्नी, बेटा और बड़ी बहन सहित उसके पूरे परिवार के 10 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है। टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में मसूद की बड़ी बहन, बहनोई और चार करीबी गुर्गे के मारे जाने की खबर सामने आ रही है। मारे गए लोगों में मौलाना काशिफ, उसका परिवार, मौलाना अब्दुल रऊफ की बड़ी बेटी, पोते और चार बच्चे शामिल हैं। इस हमले में परिवार के खात्मे के बाद मसूद अजहर काफी परेशान है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसने कहा- अच्छा होता कि मैं भी मर जाता।

सूत्रों का कहना है कि ये सभी लोग उस समय मरकज परिसर में मौजूद थे जब भारत ने आतंकवादी ठिकानों को टारगेट कर हमला किया। इसे जैश का प्रमुख प्रशिक्षण और संचालन मुख्यालय माना जाता है, जहां पुलवामा जैसे हमलों की साजिश रची जाती रही है।

ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य लक्ष्य जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा के जिहादी ढांचों को तबाह करना था, जो पिछले तीन दशकों में भारतीय धरती पर बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार दो आतंकवादी संगठन हैं। पाकिस्तान का 12वां सबसे बड़ा शहर जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का घर है। लाहौर से लगभग 400 किमी दूर स्थित, यह जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह परिसर में समूह के संचालन का आधार है, जिसे उस्मान-ओ-अली परिसर के रूप में भी जाना जाता है।

जामिया मस्जिद भारत द्वारा टारगेट किए गए ठिकानों में से एक था। कहा जाता है कि यह परिसर 18 एकड़ में फैला हुआ है और यह आतंकियों की भर्ती और विचारधारा के लिए जैश के केंद्र के रूप में कार्य करता है।

जैश के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर का जन्म बहावलपुर में हुआ था और वह वहां एक भारी सुरक्षा वाले परिसर में रहता है। जैश-ए-मोहम्मद पर आधिकारिक तौर पर 2002 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन दंडात्मक उपाय केवल कागजों पर ही लागू किया गया था, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद को अपने शिविर चलाने की पूरी आजादी दी गई थी।