सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की CBI जांच के आदेश
दिल्ली-एनसीआर में हजारों लोग वर्षों से अपने फ्लैट की चाबी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कई रियल एस्टेट कंपनियों पर समय पर प्रोजेक्ट पूरे न करने और पैसों की हेराफेरी के गंभीर आरोप हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में हजारों लोग वर्षों से अपने फ्लैट की चाबी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कई रियल एस्टेट कंपनियों पर समय पर प्रोजेक्ट पूरे न करने और पैसों की हेराफेरी के गंभीर आरोप हैं। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए एक अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दिल्ली-एनसीआर में अधूरे पड़े 21 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की गहराई से जांच करने को कहा है। जांच के घेरे में बिल्डरों के साथ-साथ 19 बैंक और कई होम फाइनेंस कंपनियां भी शामिल होंगी।
कोर्ट को शक है कि बिल्डरों और बैंकों ने मिलकर 'सबवेंशन स्कीम' के नाम पर होमबायर्स के साथ धोखाधड़ी की है। सुप्रीम कोर्ट को यह भी संदेह है कि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डरों को नियमों के विपरीत लोन दिए गए, जिससे खरीदारों की परेशानी बढ़ गई।
CBI की जांच के केंद्र में सुपरटेक
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने खासतौर पर सुपरटेक लिमिटेड और बैंकों के बीच हुई साठगांठ की जांच पर जोर दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1998 से अब तक सबवेंशन स्कीम के तहत बैंकों ने करीब 5157.86 करोड़ रुपये का लोन बिल्डरों को दिया। अब CBI यह भी देखेगी कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के अधिकारियों ने इन प्रोजेक्ट्स में कैसे भूमिका निभाई।
CBI को सात जांच शुरू करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को कुल सात प्रारंभिक जांच शुरू करने का आदेश दिया है। इनमें एक जांच सुपरटेक की परियोजनाओं पर केंद्रित होगी, एक जांच दिल्ली-NCR के बाहर के शहरों जैसे मुंबई, कोलकाता, मोहाली, इलाहाबाद और बेंगलुरु की परियोजनाओं पर होगी। बाकी पांच जांच नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गाजियाबाद और गुरुग्राम के प्रोजेक्ट्स से संबंधित होंगी।
SIT बनेगी, कई एजेंसियों से मिलेगी मदद
जांच के लिए CBI एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाएगी, जिसमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के अधिकारी भी शामिल होंगे। इसके अलावा, जमीन विकास प्राधिकरणों, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दोनों राज्यों के RERA और RBI को जांच में सहयोग देने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) को तीन चार्टर्ड अकाउंटेंट SIT को देने होंगे जो बिल्डरों और बैंकों की वित्तीय साठगांठ की जांच करेंगे।
बैंकों और फाइनेंसरों पर भी नजर
सुपरटेक के 21 प्रोजेक्ट्स छह शहरों में फैले हैं, जिनमें 19 बैंक और 8 होम फाइनेंस कंपनियों की भूमिका बताई गई है। इन वित्तीय संस्थानों में इंडियाबुल्स, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एलएंडटी, आदित्य बिड़ला फाइनेंस और दीवान हाउसिंग फाइनेंस जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इन बैंकों ने परियोजनाओं को जरूरत से ज्यादा लोन दिया, और बिल्डर इस पैसे का दुरुपयोग करते रहे।
होमबायर्स ने उठाई आवाज
कोर्ट में दायर याचिकाओं में खरीदारों ने बताया कि बिल्डर समय पर प्रोजेक्ट पूरे नहीं कर पाए और EMI भी नहीं चुकाई, जिससे बैंक ने होमबायर्स पर लोन की वसूली शुरू कर दी। जबकि ग्राहकों को आज तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला। आरोप यह भी है कि बैंकों ने बिना परियोजनाओं की प्रगति जांचे, 70-80% लोन राशि एक साथ बिल्डरों को दे दी, जिससे प्रोजेक्ट अधूरे रह गए।